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इलेक्टोरल बॉन्ड पर बढ़ सकती हैं SBI की मुश्किलें? इस कोड पर फंस गया है मामला!

SBI Electoral Bond पर दिए गए unique alphanumeric code को जारी नहीं करेगा. और अगर ऐसा नहीं हुआ तो Prashant Bhushan फिर से Contempt Of Court की याचिका दायर करेंगे. लेकिन ये कोड है क्या?

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SBI को 12 मार्च को इलेक्ट्रोरल बॉन्ड की जानकारी ECI को देनी है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे/PTI)

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 12 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड (electoral bond) से जुड़ी जानकारियों को चुनाव आयोग (ECI) को सौंपना है. ECI को इन जानकारियों को 15 मार्च की शाम 5 बजे से पहले अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करना है. ये सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का ऑर्डर है. इस ऑर्डर में एक और लेयर है. वो ये कि 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक जारी किए गए इन बॉन्ड्स की जानकारियों को दो सेट में जारी किया जाना है.

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एक सेट में होगा- बॉन्ड खरीदने की तारीख, खरीदने वाले का नाम और कितने का बॉन्ड खरीदा गया. दूसरे सेट में होगा- बॉन्ड भुनाने वाले राजनीतिक दलों के नाम, भुनाए जाने की तारीख और कितने का बॉन्ड भुनाया गया. इन दोनों डेटा सेट्स का मिलान करने से स्पष्ट पता चलेगा कि चुनावी बॉन्ड्स के जरिए किसने, कब और किस पार्टी को कितना चंदा दिया. दोनों डेटा सेट्स के मिलान के लिए एक कड़ी हो सकती थी- बॉन्ड्स पर छपे यूनिक अल्फान्यूमेरिक कोड. ये खास तरह के कोड हैं, जिनको एक खास रौशनी में ही देखा जा सकता है.

इस कोड के जरिए दोनों डेटा सेट्स को मिलाया जा सकता है. इसके बाद ही पता चलेगा कि किसने किस पार्टी को दान दिया है. 

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इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ीं दामिनी नाथ और रितु सरीन की रिपोर्ट के मुताबिक, इन अल्फान्यूमेरिक कोड्स को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. SBI के अनुसार, इस कोड को सिस्टम में रिकॉर्ड ही नहीं किया गया है. पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, 2017 में जब चुनावी बॉन्ड प्रोजेक्ट तैयार हो रहा था तब आर्थिक मामलों के सचिव थे. उन्होंने कहा कि प्रत्येक बॉन्ड पर एक यूनिक कोड की सुविधा थी जिसे ना तो SBI से बॉन्ड्स बेचे जाने के समय रिकॉर्ड किया गया और ना ही तब जब राजनीतिक दलों ने इसे भुनाया. इसके बिना चंदा देने वाले व्यक्ति या संस्था का चंदा प्राप्त करने वाली पार्टी से मिलान करना मुश्किल है.

Prashant Bhushan ने क्या कहा?

हालांकि, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि डेटा सेट्स में पर्याप्त सबूत दिए जाएंगे, जिससे पर्याप्त जानकारी प्राप्त हो सके. उन्होंने एक्सप्रेस से कहा कि वो उम्मीद कर रहे थे कि SBI की तरफ से यूनिक कोड की जानकारी भी जारी की जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि इस सबका उद्देश्य ही ये है कि वोटर्स को पता चले कि कौन किसे फंड कर रहा है. भूषण ने कहा कि SBI के पास यूनिक नंबरों वाले दो सेट्स हैं और उन्हें दान देने और लेने वालों के नाम के साथ इन नंबरों को भी जारी करना होगा. 

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प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो फिर से SBI के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि SBI को इन सूचनाओं के मिलान करने की आवश्यकता नहीं है. 

इस मामले में ADR ने SBI के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की थी. ADR एक नॉन पॉलिटिकल और नॉन प्रॉफिटेबल संगठन है. ये 25 साल से ज्यादा समय से चुनावी और राजनीतिक सुधारों पर काम कर रहा है. ADR के फाउंडिंग मेंबर और ट्रस्टी जगदीप छोकर SBI डेटा पर फॉरेंसिक जांच की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें पुख्ता सबूत की उम्मीद तो नहीं है लेकिन फंडिंग के ट्रेंड्स के बारे में जानकारी मिलेगी.

उन्होंने कहा कि अगर डेटा में कोई बड़ी दिक्कत ना हुई या नहीं बनाई गई हो तो कुछ हद तक दोनों को मिलाना संभव हो सकता है. और अगर कोई बड़ी दिक्कत आती है तो संवैधानिक कार्रवाई की जाएगी. उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड खरीदे जाने से पहले जांच और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा सरकारी नीति में बदलाव और दान या उनके काम के साथ कनेक्शन बनाया जा सकता है.

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