महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उथल पुथल (Maharashtra Political Crisis) के बीच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (ED) ने शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) को समन भेजा है. ये समन एक जमीन घोटाले मामले में भेजा गया है. ईडी ने राउत को कल यानी 28 जून को पूछताछ के लिए बुलाया है. ईडी के इस समन पर शिवसेना की प्रतिक्रिया भी आई है. पार्टी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि ईडी बीजेपी से परमभक्ति का उदाहरण पेश कर रही है. इधर TMC ने कहा है कि केंद्र सरकार विपक्ष को निशाना बना रही है.
महाराष्ट्र के बवाल के बीच संजय राउत को ED का नोटिस, मामला जमीन घोटाले का
शिवसेना ने कहा, 'ईडी बीजेपी से परमभक्ति का उदाहरण पेश कर रही है.'

ईडी के इस समन पर संजय राउत की भी प्रतिक्रिया आई है. एक ट्वीट करते हुए राउत ने कहा,
"मुझे बस अभी पता चला है कि ईडी ने मुझे समन भेजा है. अच्छा है! महाराष्ट्र में बड़े राजनीतिक घटनाक्रम हो रहे हैं. हम, बालासाहेब के शिवसैनिक एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. ये मुझे रोकने के लिए एक साजिश है. चाहें तुम मेरा सिर धड़ से अलग ही क्यों नहीं कर दो, मैं कभी गुवाहाटी का रास्ता नहीं पकड़ूंगा."
ईडी की तरफ से संजय राउत को ये समन तब भेजा गया है, जब महाराष्ट्र में लगातार गहराते जा रहे राजनीतिक संकट के बीच राउत लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे और उनके कैंप में मौजूद विधायकों को बालासाहेब ठाकरे के नाम का प्रयोग ना करने की नसीहत दी थी. उन्होंने कहा था कि इन बागियों को बालासाहेब नहीं बल्कि अपने-अपने पिता के नाम पर वोट मांगने चाहिए.
एकनाथ शिंदे की याचिकाबागी नेताओं के दफ्तर के बाहर शिवसेना कार्यकर्ताओं के द्वारा की गई तोड़फोड़ को लेकर भी राउत का बयान आया था. उन्होंने कहा था कि गुस्साए हुए कार्यकर्ताओं की नहीं रोका जा सकता. राउत ने कहा था कि ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे वापस लिए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का और अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं का विरोध.
ये पूरा घटनाक्रम तब सामने आया है, जब एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल की तरफ से अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी है. साथ ही साथ 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी करने के फैसले को भी चैलेंज किया गया है.
शिंदे की याचिका में कहा गया है कि सबको मालूम चल गया है कि महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार के पास बहुमत नहीं है क्योंकि शिवसेना के 38 विधायकों ने उनसे नाता तोड़ लिया है. याचिका में कहा गया है कि इसके बावजूद सरकार सदन के उपाध्यक्ष कार्यालय का दुरुपयोग कर रही है.