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ED को वॉशिंग मशीन में मिले करोड़ों रुपए, पता है गड्डियों से भरी ये मशीन किसकी है?

ED ने ये जब्ती विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (The Foreign Exchange Management Act, 1999) के अन्तर्गत की है. छापे मुम्बई में पड़े हैं. Washing Machine का फोटो वायरल है.

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रुपयों के साथ डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए (Image: X/ED)

एक शब्द है मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering). मतलब समझें तो कह सकते हैं, काले पैसे को सफेद करने का काम. ‘लॉन्ड्रिंग’ का मतलब धुलाई भी होता है. लेकिन एक मामले में तो सच में पैसों की धुलाई होती नजर आ रही है. वो भी वाशिंग मशीन के भीतर. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक मामले में 2.54 करोड़ रुपये जब्त किए हैं. जांच के दौरान ये भी सामने आया कि कुछ पैसा वॉशिंग मशीन (Black money inside washing machine) के भीतर छुपाया गया था. मामला विदेशी करेंसी (forex violation) से जुड़ा बताया जा रहा है.

India Today की खबर के मुताबिक ED ने ये जब्ती विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (The Foreign Exchange Management Act, 1999) के अन्तर्गत की है. एजेंसी ने विदेशी मुद्रा से जुड़े मामले में कैप्रीकॉर्न शिपिंग एंड लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड ( Capricornian Shipping & Logistics Pvt Ltd) कंपनी, इसके डायरेक्टर विजय कुमार शुक्ला और संजय गोस्वामी के परिसरों की तलाशी ली. जिसमें दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई, कुरुक्षेत्र और कोलकाता के परिसर शामिल थे.

उन्होंने मामले से जुड़े कई कागजात, डिजिटल डिवाइस के साथ 2.54 करोड़ रुपये जब्त किए, जिसका एक बड़ा हिस्सा वाशिंग मशीन के भीतर छुपाया गया था. साथ ही 47 बैंक अकाउंट भी फ्रीज किए गए हैं. 

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1,800 करोड़ के लेन-देन का मामला

ED ने ये भी बताया कि कुछ और कंपनियां भी इस केस से जुड़ी हैं. जिनमें मैसर्स लक्ष्मीटन मैरिटाइम, मैसर्स हिन्दुस्तान इंटरनैशनल, मैसर्स राजनंदनी मेटल लिमिटेड, मैसर्स स्टावर्ट एलॉय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स भटनागर लिमिटेड, मैसर्स विनायक स्ट्रीट लिमिटेड, मैसर्स वशिष्ठ कंस्ट्रक्सन प्राइवेट लिमिटेड और इनके डायरेक्टर संदीप गर्ग, विनोद केडिया शामिल हैं.  

इन पर सिंगापुर की गैलेक्सी शिपिंग एंड लाजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड और हॉरिजन शिपिंग एंड लॉजिस्टिक्स प्राइवेट को 1,800 करोड़ रुपये संदिग्ध तौर पर भेजने के आरोप हैं. दोनों ही कंपनियों को एंथनी डी सिल्वा नाम के शख्स चलाते हैं. इन कंपनियों पर झूठी विदेशी सेवाओं के नाम पर रुपयों का लेन-देन करने के आरोप लगाए जा रहे हैं.

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