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ED ने जिस फ्रॉड को गिरफ्तार किया, उसने यूपी सरकार से 13500 करोड़ की डील की थी

ED के जालंधर जोनल कार्यालय ने ‘व्यूनाऊ मार्केटिंग सर्विसेज’ के संस्थापक सुखविंदर सिंह खरौर और डिंपल खरौर को 28 फरवरी को गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से जुड़े धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत की गई थी.

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ईडी ने व्यूनॉउ के संस्थापक को एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया. (तस्वीर:PTI)

यूपी के 75 जिलों में डेटा सेंटर खोलने के नाम पर राज्य सरकार के साथ हजारों करोड़ रुपये का करार करने वाले शख्स को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है. ED ने ‘व्यूनॉऊ समूह’ (VueNow Group) के फाउंडर सुखविंद्र सिंह खरवार और उसकी पत्नी डिंपल को दिल्ली के हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया है. ‘व्यूनॉऊ समूह’ ने नवंबर, 2022 में यूपी सरकार के साथ डेटा सेंटर खोलने के लिए 13500 करोड़ रुपये का करार किया था.

ED के जालंधर जोनल कार्यालय ने ‘व्यूनाऊ मार्केटिंग सर्विसेज’ के संस्थापक सुखविंदर सिंह खरौर और डिंपल खरौर को 28 फरवरी को गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से जुड़े धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत की गई थी. अब ये जानकारी आई है कि सुखविंदर सिंह वही शख्स है जिसने यूपी सरकार से डेटा सेंटर वाला करार किया था.

मामले को लेकर एजेंसी ने अपने बयान में कहा,

“ED ने सुखविंद्र सिंह खरौर और डिंपल खरौर के खिलाफ महत्वपूर्ण इंटेलिजेंस जानकारी इकट्ठा की. दोनों भारत से बाहर भागने की फिराक में थे, हालांकि, उनके खिलाफ लुक ऑउट सर्कुलर (LOC) जारी होने के कारण उन्हें नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया. बाद में दोनों की PMLA कानून के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तार हो गई.”

मीडिया रपटों के मुताबिक, जालंधर की एक विशेष अदालत ने सुखविंदर की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद 20 फरवरी को उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया गया था. वहीं, ED ने नवंबर, 2023 में डिंपल के खिलाफ (LOC) जारी किया था. तब एजेंसी को उसके पहली बार दुबई जाने के बारे में पता चला था.

दोनों आरोपियों को PMLA के स्पेशल कोर्ट के सामने पेश किया गया जहां सुखविंदर खरौर को 10 दिनों की और डिंपल खरौर को 5 दिनों की कस्टडी में भेजा गया है.

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की विभिन्न धाराओं के तहत एक FIR दर्ज की गई थी. ED ने इसी FIR के आधार पर अपनी जांच शुरू की. एजेंसी की जांच में मालूम पड़ा कि सुखविंदर सिंह खरौर इस घोटाले के 'मास्टरमाइंड' है. आरोप है कि उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कई हजार करोड़ रुपये के 'क्लाउड पार्टिकल घोटाले' की साजिश रची. आरोपियों का इरादा निवेशकों की गाढ़ी कमाई को अपने निजी फायदे के लिए हड़पने का था.

जांच में मालूम पड़ा कि निवेशकों को फर्जी 'सेल एंड लीज-बैक' मॉडल के जरिए फंसाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, सुखविंदर सिंह ने निवेशकों को फंसाने के लिए कंपनी की हैसियत कागजों में बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई. उसने डेटा सेंटर की स्टोरेज क्षमता को छोटे-छोटे हिस्सों में लीज देने का ऑफर किया. इससे हज़ारों करोड़ रुपये उसके पास आ गए.

ईडी ने बताया,

“इस फर्जी निवेश योजना के जरिए लगभग 3,558 करोड़ रुपये की रकम निवेशकों से ऐंठी गई और इसे गैर-व्यावसायिक कार्यों में इस्तेमाल किया गया.”

इस भारी भरकम राशि को महंगी गाड़ियों, हीरे और शेल कंपिनयों में निवेश किया गया. ED ने इस संबंध में व्यूनाऊ और उसकी साझेदार कंपनियों के खिलाफ 24 नवंबर, 2024, 17 जनवरी, 2025 और 24 फरवरी, 2025 को भी छापेमारी की थी.

यूपी सरकार से अरबों की डील की

व्यूनाऊ ग्रुप समूह की कंपनी व्यूनाऊ इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड (VIPL) ने नवंबर, 2022 में 13,500 करोड़ रुपये के निवेश से यूपी के प्रत्येक जिले में डेटा सेंटर स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए थे. MOU तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर की मौजूदगी में हुआ था. यूपी सरकार ने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट कर इस बारे में जानकारी दी थी. पोस्ट में लिखा है,

“उत्तर प्रदेश में होगा विश्व का सबसे बड़ा डेटा नेटवर्क. डेटा सेंटर की स्थापना के लिए ₹13,500 करोड़ का MOU.”

नवंबर, 2022 में ही यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ ‘नंदी’ ने कथित तौर पर कहा था कि यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान राज्य में 6 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन होने की संभावना है. ‘द प्रिंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कंपनियों में ‘व्यूनाऊ’ भी शामिल थी.

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