अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही है. इस बार उन्होंने G7 देशों से रूसी तेल खरीदने पर भारत और चीन पर 50 से 100 फीसदी तक टैरिफ लगाने को कहा है. बिजनेस टुडे ने फाइनेंसियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि शुक्रवार को G7 के देश- कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के वित्त मंत्री एक वीडियो कॉल के जरिए इस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे.
ट्रंप हैं कि मानते नहीं! EU के बाद G7 से बोले- भारत-चीन पर सौ फीसदी टैरिफ लगाओ
एक ओर डॉनल्ड ट्रंप पीएम मोदी को दोस्त बताते हुए भारत के साथ ट्रेड डील पर फिर से बात शुरू करने की बात कहते हैं. वहीं दूसरी ओर वह अन्य देशों से भी भारत पर टैरिफ बढ़ाने को कह रहे हैं. अब ट्रंप ने जी 7 देशों से ऐसी ही कुछ अनुरोध किया है.


इससे पहले डॉनल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ से भी चीन और भारत पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का आग्रह कर चुके हैं. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय संघ और भारत पहले से एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, ऐसे में अमेरिका के इस अनुरोध को मानना उनके लिए आसान फैसला नहीं होगा.
अमेरिका के साथ भी ट्रेड पर शुरू होनी है बातचीतअमेरिका के साथ भी भारत की ट्रेड डील पर बातचीत फिर से शुरू होने वाली है. राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर खुद इसकी जानकारी दी थी. लेकिन इसी दौरान वह EU और G7 से टैरिफ लगाने की बात कहकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
अमेरिकी ट्रेजरी के प्रवक्ता ने फाइनेंसियल टाइम्स से कहा,
EU के लिए फैसला मुश्किलचीन और भारत रूसी तेल खरीद कर पुतिन की युद्ध मशीन को फंड कर रहे हैं, जिससे यूक्रेनी लोगों की बेवजह हत्याएं बढ़ रही हैं. इस हफ्ते की शुरुआत में, हमने अपने यूरोपीय संघ के सहयोगियों को स्पष्ट कर दिया था कि अगर वे अपने देश में युद्ध समाप्त करने के लिए गंभीर हैं तो उन्हें हमारे साथ मिलकर सार्थक टैरिफ लगाने होंगे, जिन्हें युद्ध समाप्त होने के दिन ही वापस ले लिया जाएगा.
प्रवक्ता ने कहा कि G7 के साझेदारों को भी अमेरिका के साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है. हालांकि टैरिफ से पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव और चाइना की संभावित जवाबी कार्रवाई के कारण युरोपीय संघ के लिए यह फैसला लेना मुश्किल होगा. संघ ने इसके बदले अमेरिका को अन्य उपाय सुझाए हैं.
इनमें रुसी एनर्जी प्रोडक्ट्स पर और कड़े प्रतिबंध लगाने का सुझाव शामिल है. इसके अलावा ईयू का मानना है कि ट्रंप को हंगरी और स्लोवाकिया पर दबाव बनाना चाहिए, जो कि पाइपलाइन के जरिए रूसी तेल खरीदना जारी रखना चाहते हैं. साथ ही पहले ऐसी कोशिशों में यह देश वीटो भी लगा चुके हैं.
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