ट्विटर पर लट्ठम पैजार हो रही है. दे दनादन. कुछ लोग इसे दो टीमों के बीच का क्रिकेट मैच बता रहे हैं. कुछ लोगों को मुक्केबाज़ी का देसी कंपटीशन लग रहा है. लेकिन सोशल मीडिया की दर्शक दीर्घा सिर्फ़ मैच देखती ही नहीं, बल्कि आपस में मैच खेलने भी लगती है. कंगना रनौत का होमग्राउंड है ट्विटर. रोज़ विरोधी पार्टी बदल जाती है. कल से सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ अपने हवाई शॉट्स के लिए चर्चा बटोर रहे हैं. भर-भर के. कंगना ने आदतन किसान आंदोलन पर भी बोला. लेकिन बोलते ही बैकफुट पर आ गईं. किसान आंदोलन और शाहीन बाग़ की दादी को दिहाड़ी मज़दूर बताया. कहा कि सौ सौ रुपए में ये आंदोलनों में शामिल होती रहती हैं. इसी पर जनता हमेशा की तरह भड़की. माफ़ी वाफ़ी जैसी बातें चलीं, लेकिन कहीं पहुँची नहीं. दिलजीत ने बैक टू बैक कंगना के ट्वीट का रिप्लाई दिया. लोगों को लगा कि मामला कांटे का चल रहा है. कल शाम भर यही होता रहा. दिलजीत ललकारते रहे, पंजाबियों से ना टकराने की सलाह के साथ ईंट के जवाब में पत्थर टाइप मामला करते रहे. बहुत पहले जब ट्विटर होता भी नहीं था तब न्यूटन काका होते थे. उन्होंने ‘नास तेरा दमस’ सरीखे ऐसी ट्विटर झिकझिकों का भविष्य बता दिया था. ‘एवरी एक्शन हैज़ अपोज़िट रिएक्शन’. आज यही हुआ. सुबह से ट्विटर पर दिलजीत की मम्मी के नाम से ट्रेंड चल उठे. ट्विटर पर ट्रेंड हुआ हैशटैग ‘दिलजीत_की_मम्मी_बड़ी_ह*म्मी’. देखिए हमें तक बीच में स्टार का बीप लगाना पड़ा. लेकिन ट्विटर पर ये बिना बीप वीप के ताबड़तोड़ चला. लोग इसी हैशटैग के साथ दुनिया भर के मीम चलाते रहे. कंगना की तरफ़ के लोगों ने कहा कि अब लेओ बेट्टा, कल बहुत उछल रहे थे. आज के बाद ट्विटर पर दीदी से नहीं भिड़ोगे. सारा कुछ मीम्स की भाषा में ही चल रहा था. कुछ लोग कह रहे थे कि दिलजीत को अभी ट्विटर के नियम क़ानून पता नहीं हैं, भोला मानस है. अब खिलेगा तो देखेंगे.

कल तक सोशल लाइफ़ और प्राइवेट लाइफ़ को दो अलग चीज़ें मानकर चलने वाले दिलजीत को भी नहीं पता होगा कि, ट्विटर भी सीमेंट के ऐड की तरह चलता है. सीमेंट का वो ऐड जिसमें ब्रांड का नाम आने से पहले एक छरहरी मॉडल समंदर से नहाकर बिकिनी में निकलती है और उसके बाद स्क्रीन पर टैग लाइन आती है ‘फ़लाना सीमेंट, मज़बूती बेमिसाल’. मतलब सोचो आप सीमेंट और बिकिनी का क्या तालमेल. लोगों को ईंट के मकान में रहना है, बिकिनी वाले कपड़े के तंबू में नहीं. तो अगर इसी सीमेंट के ऐड में रामबचन चाचा मंजन घिसते हुए मुस्कुरा देते तो भी मज़बूती बेमिसाल वाली टैगलाइन लाई जा सकती थी. क्योंकि इसका भी सीमेंट से कोई लेना देना नहीं.

दिलजीत की मम्मी का ट्विटर से क्या लेना-देना? उनको गरियाने से क्या होगा? कंगना की तरफ़ वाली पार्टी में समान अनुपात में महिलाएं भी थीं, जो दिलजीत की मम्मी को अलंकृत कर रही थीं. वही महिलाएं जो नवरात्र में सोसायटी भर से नौ लड़कियाँ जुटाकर उनके पांव पूजने को आतुर रहती हैं. हालांकि ये क्लीशे होगा, लेकिन किसी ने कहा है कि ज़िंदगी के सारे सच क्लीशे ही होते हैं. कंगना को मानने वालों ने अपने हिसाब से दिन भर दिलजीत की मां को गालियाँ देकर अपना हिसाब बराबर कर लिया. लेकिन हिसाब करते वक्त ये भूल गए कि गणित के सवाल में सिर्फ़ जवाब के नम्बर नहीं मिलते. प्रोसेस के भी मार्क्स मिलते हैं. और ये मां वाले हिसाब में उनको भले ये लगता हो कि जवाब उनका करेक्ट आया है, लेकिन यहां प्रोसेस और जवाब दोनों ग़लत है. और ये प्रोसेस आज सुबह से ही गड़बड़ रहा हो ऐसा भी नहीं है. न्यूटन काका की याद है ना? इक्वल रिएक्शन वाले? तो ये कल देर शाम से शुरू हो चुका था.

दिलजीत के जवाबों में झालमूड़ी का स्वाद पा रहे लोग कल ट्रेंड करा रहे थे ‘कंगना_को_दिलजीत_पे*_रहा_है’. बीप तो यहां भी इस्तेमाल करनी पड़ी. ट्रेंड ये भी हुआ था और हो रहा है. ग़लत ये भी उतना ही है जितना दिलजीत की मम्मी को बीच में लाना. महिला तो कंगना भी हैं. इस तरह का बेहूदा हैशटैग चलाकर उनके भी सम्मान से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था. लेकिन खेल खिलवाड़ में अब सब जायज़ बताया जाता है. बीच बाज़ार किसी की इज़्ज़त उछालिए फ़रक कोई नहीं पड़ता. मज़े की गारंटी फ़ुल चाहिए. बहरहाल देखिए ये मज़ा कहां जाकर बाउंड्री पार करता है. फ़िलहाल तो गेंद हवा में ही है.
