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दिल्ली-NCR में पॉल्यूशन सर्टिफिकेशन को लेकर चल रहा फर्जीवाड़ा, रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ, वो काफी हैरान करने वाला है!

Delhi के कई इलाकों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. 13 नवंबर को AQI 429 के लेवल पर था. इस दौरान आज तक ने एक इनवेस्टिगेशन की. जिसमें दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के पॉल्यूशन सेंटर्स का फर्जीवाड़ा सामने आया.

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दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण का लेवल (फोटो: PTI)

ठंड का मौसम शुरू होते ही राजधानी दिल्ली एक बार फिर से प्रदूषण (Delhi Air Pollution) की मार झेल रहा है. कई इलाकों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. दिल्ली में 13 नवंबर को AQI 429 के लेवल पर था. दिल्ली में बनाए गए 36 में से 32 स्टेशन गंभीर श्रेणी में हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह आस-पास के राज्यों में पराली जलाना और वाहनों से निकलने वाला धुआं माना जा रहा है. एक बार फिर से.

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इसको लेकर आज तक ने एक इनवेस्टिगेशन की है. जिसमें दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के कई इलाकों की प्रदूषण जांच (Pollution Centers) करने वाले केंद्र की पड़ताल की गई. इस इनवेस्टिगेशन के दौरान जो खुलासा हुआ, वो बेहद चौंकाने वाला रहा. दरअसल, इन प्रदूषण जांच केंद्र की तरफ से गाड़ियों की जांच किए बिना सर्टिफिकेट जारी कर दिए जा रहे थे.

आज तक के रिपोर्टर ने नोएडा सेक्टर-20 स्थित कोतवाली के मालखाने में जमा गाड़ियों की फोटो क्लिक की. इसमें उन गाड़ियों को चुना गया, जो डेढ़-दो साल से थाने में बंद थे. फिर इनवेस्टिगेशन टीम नोएडा स्थित सेक्टर-95 के एक पॉल्यूशन केंद्र पहुंचे. जहां रिपोर्टर ने पॉल्यूशन केंद्र पर बैठे नरेंद्र नाम के शख्स से गाड़ी का पाल्यूशन बनवाने की बात की. वो भी महज फोटो के जरिए. नरेंद्र ने तुरंत रिपोर्टर को एक साल का पाल्यूशन सर्टिफिकेट दे दिया. इतना ही नहीं, इसमें गाड़ी को प्रदूषण में पास भी दिखाया. ये सर्टिफिकेट हरियाणा के केंद्र से बना हुआ था.

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ऐसा ही कुछ दिल्ली के कापसहेड़ा और गाजियाबाद के लाल कुआं स्थित प्रदूषण केंद्र का भी यही हाल रहा. जहां सिर्फ फोटो के आधार पर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट पकड़ा दिया गया. इसके लिए कहीं 130 तो कहीं 200 रुपये की डिमांड की गई.पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए ही ट्रैफिक चालान को 500 रुपए से बढ़ाकर 10 हज़ार किया गया था. ताकि लोग सही समय पर अपनी गाड़ी की जांच कराते रहे. लेकिन आज तक के इस इनवेस्टिगेशन में कुछ लोगों की तरफ सरकार के बनाए गए सारे प्लान फेल नजर आए.

AQI कितना होना चाहिए?

मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस (MoES) के मुताबिक शून्य से 50 के बीच AQI को अच्छा माना जाता है. वहीं 51 से 100 के बीच संतोषजनक स्थिति होती है. 101 से 200 के बीच की स्थिति को मध्यम श्रेणी में रखा जाता है. 201 से 300 के बीच 'खराब स्थिति' मानी जाती है. वहीं 401 से 450 को 'बहुत खराब'. उसके ऊपर यानी 450 से ऊपर को बेहद गंभीर स्थिती माना जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में धीमी हवा की गति और गिरते तापमान से स्थिति और खराब हो सकती है.  

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राजधानी दिल्ली के अलावा देश के कई और भी इलाकों में वायु प्रदूषण बड़ी समस्या बनी हुई है. CPCB के मुताबिक 13 नवंबर को बिहार के हाजीपुर में AQI  417 दर्ज किया गया. जो दिल्ली के बाद देश में सबसे खराब था. वहीं उत्तरप्रदेश और दिल्ली के आसपास के राज्यों में भी प्रदूषण की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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