इस हत्या की कई एंगल से जांच की जा रही है. इमरान का क्रिमिनल रिकॉर्ड था. उस पर हत्या, हत्या की कोशिश और किडनैपिंग के मामले दर्ज थे. इमरान के भाई आतिफ सैफी की 2011 में हत्या कर दी गई थी. ये हत्या लव अफेयर के चक्कर में हुई थी.मौके से मिले सीसीटीवी फुटेज और इमरान के कॉल डिटेल के आधार पर पुलिस मामले की जांच कर रही है. घटना 23 जुलाई की रात करीब 12 बजे के आसपास की है. इस हत्या को पुलिस गैंगवॉर से जोड़कर देख रही है. पुलिस ने एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है. पूछताछ कर रही है.
क्या हुआ था 2011 में?
बात कुछ साल पहले की है. तारीख थी 15 मई 2011. इमरान सैफी के छोटे भाई आतिफ सैफी की हत्या कर दी गई. जगह थी जाफराबाद. बताते हैं कि इसी हत्या से दिल्ली के यमुनापार इलाके में गैंगवॉर शुरू हुआ. अब सवाल उठता है कि आतिफ की हत्या क्यों हुई. नवभारत टाइम्स को सूत्रों ने बताया कि जाफराबाद के कारोबारी हाजी मतीन की बेटी और आतिफ में प्यार हो गया. दोनों घर से भाग गए और फतेहपुरी मस्जिद में शादी कर ली. हाजी मतीन ने किसी बहाने अपनी बेटी को घर बुलाया. कुछ दिनों बाद आतिफ अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए अपने ससुराल गया. ससुर ने आतिफ के साथ मारपीट की और उसे भगा दिया. मामला कोर्ट पहुंचा. आतिफ ने अदालत में हाजी और उनके परिवार पर पत्नी को जबरन कैद करने का मुकदमा कर दिया. इसके बाद हाजी ने अपने ही दामाद की सुपारी दे दी. 15 मई 2011 को आतिफ की हत्या कर दी गई. इस मामले में इरफान उर्फ छेनू गैंग का नाम सामने आया.हत्या का बदला हत्या से
लगभग एक साल बाद 8 मई 2012 को हाजी की भी हत्या हो गई. हत्या का आरोप नासिर गैंग पर लगा. आरोप लगा कि इमरान ने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए हाजी की हत्या करवाई. लेकिन इमरान 2016 में बरी हो गया. नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक इसके बाद गैंगवॉर में करीब तीन दर्जन हत्याएं हुईं. लगभग एक साल पहले की बात है. इन हत्याओं को रोकने के लिए नासिर और छेनू गैंग के बीच जुलाई 2018 में समझौता हुआ. मौलवियों की मौजूदगी. तय हुआ कि दोनों गैंग एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. कोर्ट में जो केस चल रहे हैं उसमें एक दूसरे के खिलाफ गवाही नहीं देंगे, लेकिन नासिर के करीबी रहे आतिफ के बड़े भाई इमरान सैफी की 23 जुलाई को हत्या कर दी गई. इमरान की हत्या गैंगवॉर को फिर से हवा दे सकता है. छेनू जेल में है. वहीं नासिर बाहर है. पुलिस उस पर मकोका लगाने की तैयारी कर रही है. मकोका, महाराष्ट्र सरकार ने 1999 में मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) बनाया था. इसका मुख्य मकसद संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध को खत्म करना था. 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इसे लागू कर दिया. फिलहाल महाराष्ट्र और दिल्ली में यह कानून लागू है.बिहार में आरजेडी के पूर्व विधायक सुनील पुष्पम को मर्डर केस में उम्रकैद हुई है