टाटा संस के पूर्व चेयरपर्सन साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) के अंतिम संस्कार के लिए लोगों का आना शुरू हो गया है. इस बीच एक सवाल लोगों के बीच घूम रहा है कि आखिर 4 सितंबर को महाराष्ट्र के पालघर स्थित सूर्या नदी के पुल पर हुआ क्या था, जिसने साइरस मिस्त्री और उनके साथ सफर कर रहे जहांगीर पंडोले की जान ले ली. फिलहाल तो इसकी जांच की जा रही है. लेकिन जिस अहमदाबाद-मुंबई हाईवे (Ahmedabad-Mumbai Highway) पर ये दुर्घटना हुई, उसके बारे में ऐसी जानकारी सामने आई है, जिसके बाद इस रास्ते को सड़क दुर्घटना के लिहाज से काफी संवेदनशील कहा जा रहा है.
जहां टकराई साइरस मिस्त्री की गाड़ी, वहां अहमदाबाद-मुंबई हाइवे की कौन सी बड़ी दिक्कत सामने आई?
साइरस मिस्त्री की मौत के बाद अहमदाबाद-मुंबई हाईवे के डिजाइन पर सवाल उठ रहे हैं.


दरअसल, साइरस मिस्त्री के साथ हुए हादसे के बाद अहमदाबाद-मुंबई हाईवे के डिजाइन पर सवाल उठाया जा रहा है. वैसे तो भारत में किसी भी सड़क पर दुर्घटना होने की आशंका हमेशा रहती ही है, लेकिन इस राजमार्ग के लिए कहा जा रहा है कि इसका निर्माण ही कुछ ऐसा है कि इसपर दुर्घटनाएं होने के चांस हमेशा बने रहते हैं. मसलन, चर्चित ऑटो जर्नलिस्ट बोब रूपानी इंडिया टुडे से बातचीत में कहते हैं,
"अहमदाबाद-मुंबई हाईवे हमारे देश के उन सबसे व्यस्त राजमार्गों में से एक है जिसका डिजाइन बहुत खराब है. ये हादसा चरोटी इलाके में सूर्या नदी के ऊपर बने पुल पर हुआ है. मैं इस एरिया के बारे में काफी अच्छे से जानता हूं. समस्या ये है कि इस हाईवे के पुलों में काफी सुधार की जरूरत है. पालघर से भी ये हाईवे निकलता है, जिस पर से कई बड़े हेवी ट्रक्स गुजरते हैं. उनके ड्राइवर दाईं लेन में ही ट्रक चलाने की जिद दूसरे वाहन चालकों से करते हैं और उन्हें लेफ्ट साइड से ओवरटेक करने पर मजबूर करते हैं जो काफी खतरनाक है."
बोब रूपानी के मुताबिक, हाईवे पर भारी वाहनों को लेफ्ट लेन पर दौड़ाना चाहिए, क्योंकि ये उन्हीं के लिए होती है. मिडिल या सेकेंड लेन हल्के वाहनों के लिए मुफीद होती है. जबकि राइट या फर्स्ट लेन ओवरटेकिंग के लिए होती है. अगस्त 2017 में मुंबई-पुणे हाईवे पर एक प्रयोग के तहत 50 ऊंचे बैरियर लगाए गए थे, ताकि बड़े वाहन हाईवे की राइट साइड में ना चलें. हालांकि, देश के कई हाईवेज पर इस कॉमन ट्रैफिक रूल एंड सेंस की अनदेखी की जाती है. बड़े वाहन राजमार्गों के राइट साइड पर दौड़ते हैं, जिसके कारण जाम लगता है और ऐक्सिडेंट की आशंका रहती है. अहमदाबाद-मुंबई हाईवे का भी यही हाल है.
लेकिन इस कॉमन प्रॉब्लम के अलावा इस राजमार्ग की एक और समस्या इसका डिजाइन बताया जाता है. बोब रूपानी के अलावा ऑल इंडिया वाहन चालक महासंघ के प्रवक्ता हरबंस सिंह नानाडे भी इस हाईवे के डिजाइन पर सवाल उठाते हैं. मिड-डे से बातचीत में साइरस मिस्त्री वाले मामले पर कॉमेंट करते हुए हरबंस सिंह ने कहा,
"चरोटी फ्लाईओवर पर साउथबाउंड लेन की चौड़ाई 10.50 मीटर है, जो सूर्या नदी पर बने पुल के खत्म होते-होते सात मीटर रह जाती है. ये किस तरह की इंजीनियरिंग है? ऊपर से ये लेन सांप के आकार की तरह टेढ़ी है. गाड़ी चला रहा व्यक्ति एल-शेप वाला डेथ ट्रैप देख ही नहीं सकता, जिसमें गाइनियोकोलॉजिस्ट ने गाड़ी तेजी से घुसा दी."
यहां हरबंस सिंह हादसे का शिकार हुईं डॉ. अनाहिता पंडोले की बात कर रहे हैं, जो हादसे के वक्त कार चला रही थीं. वो आगे कहते हैं,
"गुजरात से आने वाले मोटरबाइक चालक अक्सर दाईं तरफ गाड़ी चलाते हैं, क्योंकि पुल बाईं तरफ से काफी कन्फ्यूजिंग है. नया ड्राइवर हो तो ब्लैक स्पॉट अक्सर समझ नहीं आता और गाड़ी एल-शेप वाले डेथ ट्रैप से टकरा जाती है. इसकी लंबाई ड्राइवर को नहीं दिखती. हाईवे अथॉरिटी ने वॉर्निंग साइन भी नहीं लगाए हैं."
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चार सितंबर को चरोटी नाका के पास जहां मिस्त्री की कार हादसे का शिकार हुई, वहां सूर्या नदी पर 'अजीब तरीके से बने' डिवाइडर की वजह से हाईवे सिकुड़कर दो लेन का हो जाता है. कोई साइन बोर्ड नहीं होने की वजह से वाहन चालकों को चेतावनी भी नहीं दिखती. रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे की जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया,
लगातार हो रहे एक्सीडेंट"ये सच है कि पुल से पहले सड़क तीन लेन की है, जो पुल पर दो लेन की हो जाती है. कार डिवाइडर से टकराई थी. गलत साइड से ओवरटेक करना हादसे की वजहों में से एक हो सकता है.
अधिकारियों ने ये भी बताया कि महाराष्ट्र के पालघर जिले के मनोर इलाके से गुजरात के एक गांव अचाद के बीच अहमदाबाद-मुंबई हाईवे पर कई दुर्घटनाएं होने की रिपोर्ट्स हैं. एक अधिकारी ने कहा,
"पिछले 18 महीनों में इस रास्ते पर हुए सौ से ज्यादा सड़क हादसों में 106 लोगों की मौत हुई है और 49 की हालत ऐसी हो गई है कि अब वो बिस्तर से उठ नहीं सकते."
एक अन्य अधिकारी ने कहा,
"रात में ये रास्ता और जानलेवा हो सकता है, क्योंकि हाईवे पर लगी कुछ स्ट्रीटलाइट्स और गाड़ियों पर लगी हाई बीम लाइट्स की वजह से ऑपोजिट डायरेक्शन से आ रहे वाहन चालकों को देखने में दिक्कत होती है, जिससे जानलेवा हादसा हो सकता है."
हालांकि इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट सूत्रों के हवाले से कहती है कि हाईवे की डिजाइनिंग में कोई डिफेक्ट नहीं है. शुरुआती जांच के आधार पर इन सूत्रों ने अखबार को बताया है कि ये हादसा ओवरस्पीडिंग और ड्राइवर के ओवरटेक करने के कारण हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक अनाहिता ने लेफ्ट साइड से गाड़ी आगे निकालने की कोशिश की होगी, जो सही ओवरटेक नहीं माना जाता. बोब रूपानी जैसे जानकारों का भी कहना है कि अनाहिता ने लेफ्ट साइड से ओवरटेक करने की कोशिश में साइडवॉल से गाड़ी टकरा दी होगी.
उन्होंने कहा कि इस कोशिश में अनाहिता पंडोले ने कार पर से कंट्रोल खोया और पुल की रेलिंग में गाड़ी ठोक दी.
इसके अलावा, ये भी बताया गया है कि हादसे के वक्त कार में पीछे की तरफ बैठे लोगों ने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी और वहां कोई एयरबैग भी नहीं था. ऐसे में पुलिस फिलहाल इस मामले को दुर्घटना की तरह ही देख रही है, जिसने देशभर के हाईवेज के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठा दिए हैं.
एक्सिडेंट के समय साइरस मिस्त्री की कार चलाने वाली अनाहित पंडोले कौन हैं?