महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) और लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय (V and A Museum) के बीच एक MoU साइन होने जा रहा है. इसके ज़रिए शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaja) के हथियार 'वाघ नख' (Wagh Nakha) को वापस भारत लाया जाएगा.
अफजल खान को मारा था, शिवाजी का बाघ के पंजे वाला हथियार भारत लौटेगा, बस एक पेच है
छत्रपति शिवाजी महाराज का हथियार 'वाघ नख' 3 साल के लोन पर वापस भारत आने जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार इसके लिए लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के साथ एक MoU साइन करने जा रही है.

वाघ नख कीलों वाला एक नुकीला हथियार है, जो हाथ की उंगलियां में फंसाया जाता है. हाथ में पकड़ने पर ये बाघ के पंजे जैसा दिखाई देता है. महाराष्ट्र सरकार के संस्कृति कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार एक अक्टूबर को लंदन के लिए रवाना हुए. इससे पहले उन्होंने मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति पर माल्यार्पण किया.
लोन पर मिलेगा 'वाघ नख'मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुधीर मुनगंटीवार 3 अक्टूबर को विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय जाएंगे. वे यहां संग्रहालय के निदेशक ट्रिस्टन हंट से मिलकर MoU पर हस्ताक्षर करेंगे. इसके ज़रिए लंदन का ये संग्रहालय महाराष्ट्र सरकार को 3 साल के लिए वाघ नख लोन पर देगा. महाराष्ट्र सरकार ने बताया है कि राज्य के अलग-अलग संग्रहालयों में इसका प्रदर्शन होगा.
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17वीं सदी के मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज वाघ नख का इस्तेमाल करते थे. उन्होंने इससे बीजापुर आदिल शाही साम्राज्य के जनरल अफजल खान को मारा था. ऐसा माना जाता है कि वाघ नख ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ के पास था. वे 1818 में सतारा राज्य के राजनीतिक एजेंट नियुक्त किए गए थे. उनके वंशज ने ये विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय को तोहफे में दिया था.
वाघ नख के बारे में हैं कई दावेविक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के अनुसार, वाघ नख के साथ एक केस भी है. इसे ग्रांट डफ ने स्कॉटलैंड लौटने के बाद बनवाया था. उस केस पर लिखा गया है,
"शिवाजी का वाघ नख. इससे उन्होंने मुगल जनरल को मारा था. ये अवशेष ईडन के जेम्स ग्रांट डफ को तब दिया गया था जब वे मराठा पेशवा के प्रधानमंत्री के ज़रिए सतारा में रहा करते थे."
हालांकि, इसका कोई ठोस सबूत नहीं है. कहा ये भी जाता है कि 1818 में मराठा पेशवा बाजीराव 2 ने अंग्रेज़ों के सामने हथियार डाल दिए थे. तीसरी एंग्लो मराठा लड़ाई हारने के चलते उन्हें कानपुर के पास बिठूर भेज दिया गया था. हो सकता है कि वाघ नख उन्होंने ग्रांट डफ को सौंप दिया हो. इस बात का भी कोई ठोस सबूत नहीं है कि ये वही वाघ नख हैं जिसे छत्रपति शिवाजी ने इस्तेमाल किया था.
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