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क्या देश का नाम 'India' हटाया जा सकता है? जानिए क्या है कानूनी रास्ता

India और भारत को लेकर संविधान क्या कहता है, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

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अटकलें लगाई जा रही हैं कि मोदी सरकार देश का नाम सिर्फ 'भारत' कर देगी. (फोटो: इंडिया टुडे)

India या भारत. पूरा दिन देश के नाम पर सियासी बवाल हुआ. उन अटकलों के आधार पर जिनके मुताबिक मोदी सरकार देश का नाम 'इंडिया' हटा देगी. कहा जा रहा है कि संसद का जो विशेष सत्र बुलाया गया है, उसमें देश का नाम सिर्फ 'भारत' कर दिया जाएगा. राष्ट्रपति भवन की ओर से G20 समिट के दौरान डिनर के लिए भेजे गए एक निमंत्रण पत्र में 'भारत के राष्ट्रपति' ('President of Bharat') लिखा मिला. अभी तक इसके लिए अंग्रेजी में ‘President of India’ ही लिखा जाता रहा है. इंडिया के लिए ‘भारत’ या भारत के लिए ‘इंडिया’ लिखने में अब तक कुछ गलत नहीं है. हालांकि, तमाम कयासों के बीच सवाल ये है कि क्या 'इंडिया' नाम हटाया जा सकता है. अगर केंद्र सरकार इंडिया (India) नाम हटाना चाहे, तो इसके लिए क्या करना होगा? 

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इंडिया या भारत: संविधान में क्या लिखा है?

संविधान का अनुच्छेद-1 कहता है, 'इंडिया, दैट इज भारत, जो राज्यों का संघ होगा.' इसका मतलब है कि अनुच्छेद-1 'इंडिया' और 'भारत', दोनों को मान्यता देता है. भारत के संविधान की प्रस्तावना अंग्रेजी और हिंदी दोनों में है. अंग्रेजी वाले में ‘इंडिया’ और हिंदी में ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल हुआ है. इसी तरह हम 'गवर्नमेंट ऑफ इंडिया' भी कहते हैं और 'भारत सरकार' भी.   

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अगर केंद्र सरकार देश का नाम सिर्फ 'भारत' करना चाहती है, तो उसे अनुच्छेद-1 में संशोधन करना होगा. संविधान का अनुच्छेद-368 संविधान संशोधन की अनुमति देता है. इसके लिए केंद्र सरकार को संसद में एक बिल लाना होगा और उसे बहुमत से पास कराना होगा.

इंडिया टुडे की नलिनी शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, संविधान के कुछ अनुच्छेद में बदलाव के लिए साधारण बहुमत (यानी 50 प्रतिशत से अधिक) की जरूरत होती है. वहीं कुछ अनुच्छेद में संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत यानी 66 फीसदी बहुमत की जरूरत होती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, कोई नया राज्य बनाने या राज्यसभा में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सीटों के आवंटन के लिए साधारण बहुमत की जरूरत होती है. वहीं अनुच्छेद-1 में बदलाव के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

नलिनी शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ रखने की मांग सुप्रीम कोर्ट से भी जा चुकी है. मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने देश का नाम 'इंडिया' की जगह सिर्फ 'भारत' रखने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. उस समय तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) टीएस ठाकुर ने कहा था,

"भारत और इंडिया? आप भारत बुलाना चाहते हैं तो बुलाइए. अगर कोई इंडिया कहना चाहता है तो उसे इंडिया कहने दीजिए."

चार साल बाद 2020 में फिर से सुप्रीम कोर्ट में ऐसी ही याचिका दायर हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा याचिका को खारिज कर दिया था. 

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अनुराग ठाकुर बोले- 'विपक्ष की अटकलें, मात्र अफवाह'

विपक्षी खेमे में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र 'इंडिया' नाम हटाने के लिए बुलाया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इन अटकलों को 'अफवाह' बताया है. रिपोर्ट के मुताबिक अनुराग ठाकुर ने कहा,

“मुझे लगता है कि ये सिर्फ अफवाहें हैं. मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि जो कोई भी भारत शब्द पर आपत्ति जताता है, वह साफ तौर पर उसकी मानसिकता को दिखाता है.”

बता दें कि मोदी सरकार ने  18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इसकी घोषणा होते ही सूत्रों के हवाले से कई तरह की खबरें आईं. सूत्रों के हवाले से बताया गया कि विशेष सत्र में 'एक देश, एक चुनाव' बिल, यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और महिला आरक्षण बिल लाया जा सकता है. हालांकि, सरकार की तरफ से इस तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई है.

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