
ऐसे भ्रामक दावों से बचें.
ये पहली बार नहीं है. बीते साल 2020 में अजवायन, तुलसी पत्ता, काली मिर्च
, अदरक का काढ़ा और लहसुन के इस्तेमाल से कोरोना ठीक होने के बेबुनियाद दावे किए गए जा रहे थे. गुनगुने पानी में नमक या सिरका मिलाकर गरारे करने की बातें भी उस दौर में खूब उड़ीं. इन नुस्खों से कोरोना नहीं मरता. ना ही ये आपकी ऑक्सीजन की ज़रूरत को कम कर सकते हैं.
डॉ. देवाशीष पालकर नाम के एक ट्विटर यूज़र हैं. बायो के मुताबिक, देवाशीष डॉक्टर हैं. 21 अप्रैल 2021 को उन्होंने ट्वीट कर एक पेशेंट के बारे में जानकारी दी
, जिसने ऑक्सीजन सिलेंडर छोड़ कपूर सूंघने वाला टोटका अपनाया. देवाशीष लिखते हैं,
उसकी (पेशेंट) ऑक्सीजन सेचुरेशन 95 प्रतिशत थी(12 लीटर NBRM पर). लेकिन मुझे झटका लगा जब नर्स मेरे पास अचानक भागती हुई आई, ये बताने के लिए कि पेशेंट को भयानक खांसी हो रही है. मैं वॉर्ड के दूसरे हिस्से में एक बुज़ुर्ग पेशेंट को ऑक्सीजन मास्क ढंग से लगाने के बारे में बता रहा था. मैं खांसते मरीज़ के पास पहुंचा और ऑक्सीजन लेवल देखा. ये 65 पर्सेंट था. उसने अपना मास्क हटा रखा था और कुछ पुडिया सूंघने में मशगूल था, जिसकी बू कपूर और दालचीनी जैसी थी. मरीज़ तक ये पुड़िया उसके परिवार ने खाने के टिफिन के ज़रिए पहुंचाई थी.
पेशेंट ने ऑक्सीजन मास्क बिस्तर पर एक कोने में धरा था, और खुद ये पुडिया सूंघने में मस्त रहा जबतक भयंकर खांसी शुरू ना हो गई. हमने पेशेंट को प्रोन पॉज़ीशन में लेटाया और क़रीब 15 मिनट बात हालत स्थिर हुई है. अब पेशेंट का ऑक्सीजन लेवल 85-86 के पास है (15 लीटर NBRM के साथ).
शरीर को कुछ ना कुछ नुकसान तो हुआ ही होगा. इन पुडियों को पेशेंट से दूर रखिए, ये ऑक्सीजन का विकल्प नहीं हैं. मूर्ख बनना बंद कीजिए.
अजवायन, कपूर इत्यादि के क्या फायदे या नुकसान हैं, ये जानने के लिए हमने आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. सुमित श्रीवास्तव से बात की. डॉ. सुमित श्री धन्वंतरि आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल, चंडीगढ़ के डीन एकेडमिक्स हैं. डॉ. सुमित ने बताया,
घरेलू मसालो को सूंघने पर इनका एरोमेटिक इफेक्ट ज़रूर होता है. लेकिन इन्हें बतौर दवाई बिल्कुल भी सुझाया नहीं जाता. ऐसा आयुर्वेद में कहीं भी लिखा नहीं है. वॉट्सऐप ग्रुप में चल रही कपूर जलाने या सूंघने जैसे बातें गलत हैं. इनका कोई आधार नहीं है. इससे ऑक्सीजन बढ़ने की बात ग़लत है. उल्टा, कपूर का इस्तेमाल इंसानी शरीर के लिए ख़तरनाक़ हो सकता है. सरसों का तेल नाक में डालने से कोरोना नहीं मरने वाला. लौंग, दालचीनी, काली मिर्च की औषधीय महत्ता है, लेकिन ये कोरोना को मार देगी, ऐसा कहना बिल्कुल गलत है.हमने डॉ. सुमित से पूछा कि वो कौनसा आयुर्वेदिक इलाज कोरोना मरीज़ों को दे रहे हैं, तो उन्होंने बताया,
हम कोरोना पेशेंट्स को शिरीष जैसी एंटी-वायरल औषधियों से युक्त काढ़ा दे रहे हैं. ये घरेलू नुस्खे वाले काढ़े से अलग, पूरी तरह से औषधीय गुणों वाला है. इसके अलावा हम योगाभ्यास करवा रहे हैं.यानी आयुर्वेद में भी औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियों को ही कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में बरता जा रहा है. रसोई की मसालेदानी में पड़े मासलों से कोरोना ख़त्म होने वाला नहीं है.
कोरोना से हर तरफ़ डर का माहौल है. हर कोई स्वस्थ होकर अपनों के पास घर लौटना चाहता है. ऐसे में कोई इन नुस्खों पर यकीन कर ले, तो बहुत हैरानी नहीं होनी चाहिए. डेथ बेड पर बैठा शख़्स ज़िंदा लौटना चाहता है. क्या मनोदशा हो सकती है ऐसे हालात में किसी मरीज़ की, ये जानने के लिए हमारी साथी प्रगति बाजपेयी ने बात की मनोचिकित्सक डॉ. रिकाब अली से. डॉ. अली के मुताबिक,
इस समय लोगों के मनोदशा ऐसी है कि वो लगातार इन्फॉर्मेशन को फिल्टर कर रहे हैं. ऐसे में लोगों के अंदर उम्मीद की तरफ़ झुकाव (ऑप्टिज़्म बायस) होता है. ये सिलेक्टिव अटेंशन है. लोग डरे हुए होते हैं. ऐसे में पहले से ही बचने के तरीकों की ओर झुकाव होता है. फिर चाहे वो शरीर को नुकसान ही क्यों ना पहुंचा दे. अक्सर जानकारी की कमी भी होती है. इसलिए लोग इलाज के भ्रामक तरीकों पर यकीन कर बैठते हैं.पड़ताल: ये 25 नुस्खे आपको कोरोना वायरस से नहीं बचा सकते
कुल मिलाकर, अगर आप या आपके अपने कोविड पॉजिटिव हैं तो डॉक्टरी सलाह पर भरोसा कीजिए. कपूर-लौंग-अजवायन की पुड़िया या वेंटिलेटर पर मौजूद शख़्स को गौमूत्र पिलाने से हालात बिगड़ेंगे ही, सुधरेंगे नहीं. रेमडिसिविर समेत कुछ खास दवाइयां भी डॉक्टरों की सलाह के बाद उनकी निगरानी में ही लें. मास्क पहनिए और कोशिश करें कि आपके आसपस मौजूद हर शख़्स मास्क पहने हो.