"मेरे पिता चाहते थे कि मैं देश का अच्छा नागरिक बनूं. ऐसा इंसान, जो धर्म के नाम पर समाज में हिंसा न भड़काए. आज हिंदू-मुस्लिम विवाद में मेरे पिता की जान गई. कल किसके पिता को अपनी जान गंवानी पड़ेगी?"
कल से ही खबरों और खबरों के भेस में अफवाहों का दौर जारी है. कुछ जहरीले लोग पुलिस के खंडन करने के बावजूद बेशर्मी से अफवाह फैला रहे हैं. अभिषेक को उसके पिता ने ऐसा नागरिक बनाने की सोची जो धर्म के नाम पर हिंसा में न लिप्त हो. हर मां बाप की तरह वो भी उसको अच्छा इंसान बनाना चाहते थे. उसे पिता की सीख जिंदगी भर याद रह जाएगी.

पत्नी के साथ सुबोध
अभिषेक का एक और भाई है. श्रेय सिंह नाम है उसका. पूरे परिवार का बुरा हाल है. सुबोध कुमार की बहन का बयान भी सामने आया है. उन्होंने उल्टा पुलिस पर ही कॉन्स्पिरेसी का आरोप लगाया है. उनका कहना है- मेरा भाई अखलाक केस की जांच में था, इसलिए उनको मारा गया. ये पुलिस के द्वारा की गई साजिश है. उनको शहीद घोषित करना चाहिए और मेमोरियल बनना चाहिए. हमको पैसे नहीं चाहिए. सीएम सिर्फ गाय गाय करते रहते हैं.
याद कर लीजिए कि तीन साल पहले बिसाहड़ा में भी गाय को लेकर लिंचिंग हुई थी. अखलाक नाम के आदमी को भीड़ ने मार डाला था. अखलाक केस में सुबोध कुमार सिंह जांच अधिकारी थे. शुरुआती तीन महीनों तक. 28 सितंबर से 9 नवंबर 2015 तक. उन्होंने काफी सुबूत जुटा लिए थे. अखलाक के फ्रिज में गोमांस था या नहीं, इस दिशा में जांच महत्वपूर्ण मोड़ पर थी. उसी दौरान उनका तबादला वाराणसी कर दिया गया था. जांच में पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाकर. वो चार्जशीट में गवाह नंबर 7 थे. बुलंदशहर में हिंसा और SHO के मर्डर से संबंधित पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक
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