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कानपुर हमले में घायल बिठूर के दरोगा ने बताया- कैसे आठ पुलिसवाले शहीद हो गए

दो जुलाई की रात का मंजर बताया, चौबेपुर थाने के एसओ पर सही जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया.

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तस्वीर में बाईं तरफ हैं बिठूर के एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह, जो काफी घायल हैं. वही अपराधी विकास दुबे के गांव में भारी पुलिसफोर्स तैनात है (दाएं). सर्च ऑपरेशन जारी है.
2 जुलाई की रात चौबेपुर, शिवराजपुर और बिठूर थाने की फोर्स अपराधी विकास दुबे के घर दबिश देने बिकरू गांव जा रही थी. ये इलाका चौबेपुर थाने के अंतर्गत आता है. ऐसे में पूरी टीम को ब्रीफिंग देने की ज़िम्मेदारी भी चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी की थी. लेकिन उन्होंने ना तो पुलिस टीम को सही ढंग से ब्रीफिंग दी. ना ही ख़तरों से सतर्क किया. ये बात कही है हमले में बुरी तरह घायल हुए बिठूर थाने के एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने. हॉस्पिटल में एडमिट कौशलेंद्र प्रताप ने आज तक से बात करते हुए कहा – “उनको (विकास दुबे गैंग को) सूचना पूरी तरह पहले से थी. क्योंकि गांव में सन्नाटा छाया था. जिस तरह से जेसीबी रास्ते में लगाई थी, उससे उनके इरादे साफ थे. हम लोग भी इतना सीरियस नहीं समझ रहे थे कि ऐसा कुछ हो सकता है.” उन्होंने आगे कहा – “हमने सोचा था कि ज़्यादा से ज़्यादा वो (विकास) घर पर नहीं मिलेगा. या शायद हमें घर में घुसने नहीं दिया जाएगा. ये नहीं सोचा था कि इतना कुछ होगा. चूंकि ये सोचने का काम चौबेपुर पुलिस का था. हम तो सहयोग में गए थे. लेकिन चौबेपुर एसओ साब को ये समझना-सोचना चाहिए था कि हम कहां जा रहे, किसके यहां जा रहे. लेकिन उस तरह की ब्रीफिंग नहीं की गई.” पूरी घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा -
“रात में जब हम पहुंचे तो अचानक से हम पर हमला हो गया. अंधेरे की वजह से हम ये भी नहीं देख पा रहे थे कि गोली चल कहां से रही है. हालांकि हम पर रोशनी पड़ रही थी, तो वो लोग हमें देख पा रहे थे. पहले हमने एक दीवार की आड़ ली. मुझे दो लोग दिख रहे थे. फायर किया. लेकिन जब मुझे लगा कि निशाना वहां तक पहुंच नहीं पा रहा तो मैं अपने दो सिपाहियों को लेकर एक ट्रॉली की आड़ में छिपा. एक सिपाही को गोली भी लग गई. किसी तरह हम लोग रास्ते तक पहुंचे और बच पाए.”
हमले में शहीद हुए साथियों पर कौशलेंद्र ने कहा –
“जब हमला हुआ तो सभी लोग तितर-बितर हो गए. जिसे जहां जगह मिली, वो वहां छिपा. लेकिन इन लोगों का (शहीद साथियों) बैडलक रहा कि ये वहां छिपे, जहां से फायरिंग हो रही थी.”
कौशलेंद्र ने कहा कि उन्हें अपने बचने की ख़ुशी नहीं, बल्कि साथियों को खोने का दुख है. साथ ही उम्मीद जताई कि सीएम की बात पर भरोसा है कि कार्रवाई होगी. कहा कि जो सज़ा मिलेगी, उसे विकास दुबे और उनका परिवार याद रखेगा.
विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस की 20 टीमों का सर्च ऑपरेशन जारी!