रामचरितमानस को पोटैशियम साइनाइड बताने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अब हिंदू भगवान राम का जिक्र किया है. उन्होंने दावा किया है कि राम उनके सपने में आए हैं, और कहा है कि लोग उनको (मतलब राम को) बेच रहे हैं, तो वो भगवान को बिकने से बचा लें.
रामचरितमानस को 'पोटैशियम साइनाइट' बताने वाले शिक्षा मंत्री के 'सपने' में आए राम, क्या बोले?
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने दावा किया है कि राम उनके सपने में आए हैं. इससे पहले उन्होंने रामचरितमानस पर सवाल उठाए थे.

आजतक से जुड़े राम चन्द्र मेहता की रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रशेखर ने ये बयान पिपरा प्रखंड के रामपुर गांव में एक कार्यक्रम के दौरान दिया. यहां उन्होंने कई धार्मिक बातें कीं. उन्होंने कहा,
“जब प्रभु श्री राम ने शबरी के जूठे बेर खाए, लेकिन आज शबरी का बेटा मंदिर नहीं जा सकता. यह दुखद है. राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को रोक दिया जाता है. गंगाजल से धोया जाता है. भगवान राम ने शबरी का जूठा खाकर संदेश दिया कि छुत-अछूत कुछ नहीं है. भगवान भी जाति व्यवस्था से कुपित थे. भगवान ने सोचा होगा हम खा लेंगे तो दुनिया खाने लगेगी, लेकिन उन्हें अकेले छोड़ दिया गया. खाली धूप-बत्ती दिखाकर उन्हें छोड़ दिया जाता है. उनका अनुकरण नहीं किया जाता.”
चंद्रशेखर ने आगे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का जिक्र किया. कहा,
“बाबा धर्मराज मर्यादा पुरुषोत्तम थे. जिन्होंने जाति व्यवस्था को खत्म करते हुए संदेश देकर चले गए. उन्होंने तो केवल एक बार बोला, लेकिन मोहन भागवत ने दो बार बोला. कुछ लोगों ने उनकी जीभ काटने पर दस करोड़ का इनाम रख दिया, लेकिन मोहन भागवत के विरोध में दस रुपए का भी इनाम नहीं रखा. मोहन भागपत जी बड़ी जाति के हैं तो उनके साथ कुछ नहीं हुआ.”
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चंद्रशेखर ने सारी बातें कहने के बाद भगवान राम के बारे में कहा,
“मेरे सपने में भगवान राम आए और उन्होंने कहा कि लोग हमें बाज़ार में बेच रहे हैं. तुम मुझे बाज़ार में बिकने से बचा लो. बड़ा कल्याण होगा धरती का. और इसलिए हम कभी-कभी बीच-बीच में एक दो शब्द बोल देते हैं. हम सभी भगवान को धूप-बत्ती तो दिखाते हैं लेकिन उनका किया हुआ कुछ नहीं करते हैं.”
आखिर में शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा ही जीवन, समाज, राज्य और देश के अंधकार को दूर कर सकती है. शिक्षा ही एक ऐसी चीज़ है जो दुनिया में भारत को अलग पहचान दिला सकती है.
चंद्रशेखर ने इससे पहले रामचरितमानस पर सवाल उठाए थे. एक बार उन्होंने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों का हवाला देते हुए उसे ‘नफ़रत फैलाने वाला ग्रंथ’ बताया था. और एक बार रामचरितमानस की तुलना उन्होंने जानलेवा पोटेशियम साइनाइड से की थी.
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