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बिहार में देखते-देखते तालाब गायब हो गया, जांच में जुटी पुलिस!

कभी तालाब के लिए जाने जाने वाले मिथिला में अब 100 से कम तालाब बचे हैं.

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(सांकेतिक फोटो - आजतक)

बिहार के दरभंगा (Bihar Darbhanga) में रातों-रात पूरा का पूरा तालाब गायब हो गया. इलाके के एक ‘भू-माफिया’ ने कथित तौर पर पहले तालाब का पानी निकाला, फिर उसे मिट्टी से पाट दिया गया और उस जगह पर झोपड़ियां भी बना दीं. पुलिस ने शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. 

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फ़्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, दरभंगा के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में एक तालाब था. वो गायब हो गया. गांव वालों ने लोगों ने पुलिस को मामले की खबर दी. बताया कि तालाब में वो लोग मछली पालते थे. तालाब के पानी से फल-सब्जी के पेड़-पौधों को भी सींचते थे. उन्होंने पुलिस को बताया कि भू-माफिया ने पहले तालाब का पानी सुखाया, फिर तालाब वाली जगह में मिट्टी भर दी. और उसके बाद वहां झोपड़ियां बना दीं. 

पुलिस ने शिकायत दर्ज की. जांच शुरू की. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब दरभंगा से जमीन कब्जाने की घटना सामने आई हो.

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इतने तालाब कहां गए?

‘दरभंगा पग-पग पोखरी माछ मखान सरस बोल मुस्की मुख पान इ थीक मिथिला की पहचान’

अर्थात मिथिला की पहचान पोखर यानी तालाब, मछली, पान और मखाने से जुड़ी है. दरभंगा शहर में मौजूद तालाब 200 से 900 साल पुराने हैं. मगर ये स्थिति, ये पहचान अब वैसी नहीं है.

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अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, साल 1964 में प्रकाशित गजेटियर में दर्ज है कि उस वक्त तक दरभंगा में 350 से ज्यादा तालाब थे. फिर साल 1989 में प्रोफेसर एस एच बज्मी ने शहर के तालाबों का सर्वे किया था और एक नक्शा बना कर उसमें तालाबों की स्थिति भी दिखायी थी. उस सर्वे में निकल कर आया कि उस वक्त शहर में 213 तालाब ही बचे थे. 25 सालों में 100 से ज़्यादा तलाब गायब. 2021 तक आते आते तो नगर निगम की सूची में सिर्फ 119 तालाब रह गए. और, ये लगातार घट रहे हैं. इस साल - 2023 में - शहर में तालाबों और डबरों की कुल संख्या 84 रह गई है. सिर्फ कोरोना काल के दौरान भू-माफियाओं ने करीब 25 तालाब गायब कर दिए थे.

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दरभंगा के सोनकी थाना के सामने मौजूद तालाब करीब 10 बीघे में फैला था, जो बाद में मात्र 7 से 8 बीघे भर का रह गया. बाकी बची जगह में लोगों ने मिट्टी भर कर दुकानें खड़ी कर दी.

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