इंटरनेट आने के बाद से हमारी जिंदगी आसान हुई है. और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आने के बाद से तो और भी सहूलियत हो गई है. कुछ भी चाहिए हो, हेयरपिन से लेकर हवाई जहाज तक की जानकारी चाहिए, चैट-जीपीटी पर सर्च करिए मिल जाएगा. लेकिन आजकल समाचार चैनलों में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है. अपनी बात करें तो हम तो AI का इस्तेमाल जानकारी इकठ्ठा करने के लिए करते हैं. लेकिन लिखवाट हमारी अपनी होती है. माने पूरा इस्टाइल अपन का है. लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के संपादक जी इससे इत्तेफाक नहीं रखते. वो दफ्तर आते हैं, ईजी चेयर पर बैठते हैं, और चैट-जीपीटी को हुक्म देते हैं, 'ए चैट जीपीटी, आज तबियत में थोड़ी तेजाबियत है, खबर तू लिख दे.' ये पूरा मामला पाकिस्तान के सबसे प्रतिष्ठित अखबार Dawn से जुड़ा है.
पाकिस्तानी अखबार में साबित हुआ, ChatGPT एक दिन पत्रकारों की नौकरी खाएगा!
सोशल मीडिया पर लोगों ने कहना शुरू किया कि किस मुंह से Dawn दूसरों को Ethics के लेक्चर देता है. जबकि खुद वो Chat GPT और AI का इस्तेमाल कर रहा है. इस मामले पर कुछ लोगों ने चुटकी भी ले ली. उन्होंने कहा कि ‘AI संपादकों की नौकरी खाकर रहेगा.'
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पाकिस्तान में एक अखबार छपता हैं, नाम है 'डॉन' (Dawn). शब्द का मतलब देखें तो सुबह की पहली किरण, यानी पौ फटने को dawn कहा जाता है. Dawn पाकिस्तान का एक जाना-माना और प्रतिष्ठित अखबार है. कई मौकों पर डॉन ने ये साबित भी किया है. लेकिन 12 नवंबर के एडिशन में बिजनेस पेज पर कुछ ऐसा छपा, जिससे डॉन को इंटरनेट पर काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है. यह गलती 'अक्टूबर में ऑटोमोबाइल बिक्री में तेजी' हेडलाइन वाले एक आर्टिकल के आखिरी पैराग्राफ में दिखी. पूरी खबर में ऑटो सेक्टर की बिक्री, गाड़ियों और उनकी कंपनियों के आंकड़े लिखे थे. लेकिन हल्ला कटा आर्टिकल की आखिरी लाइन पर. आखिरी लाइन में लिखा था,
If you want, I can also create an even snappier ‘front-page style’ version with punchy one-line stats and a bold, infographic-ready layout perfect for maximum reader impact. Do you want me to do that next?
इसका हिंदी में अनुवाद करें तो,
अगर आप चाहें, तो मैं एक और भी आकर्षक 'फ्रंट-पेज स्टाइल' एडिशन बना सकता हूं जिसमें प्रभावशाली वन-लाइन के आंकड़े और एक बोल्ड, इन्फोग्राफिक, पहले से तैयार लेआउट होगा. ये ऐसा होगा जो रीडर्स पर अधिकतम प्रभाव डालेगा. क्या आप चाहते हैं कि मैं ऐसा करूं?
आजकल AI का जमाना है तो हर कोई इन लाइनों से परिचित है. लिहाजा एडिशन छपते ही सोशल मीडिया यूजर्स का ध्यान तुरंत इसपर गया. डॉन की भयंकर किरकिरी होने लगी और पाकिस्तान के सबसे प्रतिष्ठित अखबारों में से एक की संपादकीय लापरवाही पर सवाल उठे. डॉन की शुरुआत ब्रिटिश इंडिया में मुहम्मद अली जिन्ना ने 1941 में की थी. इसका पहला अंक 12 अक्टूबर 1942 को लतीफी प्रेस में छापा गया था.

इसे देखकर सोशल मीडिया पर लोगों ने कहना शुरू किया कि किस मुंह से Dawn दूसरों को Ethics के लेक्चर देता है. जबकि खुद वो चैट-जीपीटी और AI का इस्तेमाल कर रहा है. इस मामले पर कुछ लोगों ने चुटकी भी ले ली. उन्होंने कहा कि ‘AI संपादकों की नौकरी खाकर रहेगा. या तो वो पूरी तरह अखबार छाप देगा, या एडिटर्स इसी तरह धरे जाएंगे. और नौकरी दोनों केस में जानी तय है.’
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