The Lallantop

अरुण जेटली ने राहुल गांधी के बारे में कहा- ऐसे नेताओं को पब्लिक लाइफ से बाहर कर देना चाहिए

ममता बनर्जी पर भी हिंदू-मुसलमान की राजनीति करने का आरोप लगाया.

Advertisement
post-main-image
राहुल गांधी पर अरूण जेटली बोले, ऐसे नेताओं को पब्लिक लाइफ में नहीं रहना चाहिए
आजतक के विशेष मंच 'सुरक्षा सभा' में अरुण जेटली बालाकोट एयर स्ट्राइक पर हो रही राजनीति पर बोले. जब से भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादी कैंपों को धुआं-धुआं किया है, तब से ही इस कार्रवाई पर राजनीति गरमा गई है. बालाकोट के साथ जेटली ने महागठबंधन, पैरामिलिटरी सेनाओं, पाकिस्तान पॉलिसी जैसे विषयों पर भी जवाब दिए. विपक्ष की तरफ से आने सवालों पर भी बोले. खासकर राहुल गांधी और ममती बनर्जी पर खुलकर बात की.
आजतक की सुरक्षा सभा में अरुण जेटली खुलकर बोले
आजतक की सुरक्षा सभा में अरुण जेटली खुलकर बोले. (बाएं - राहुल कंवल, दाएं - अरुण जेटली)

सैनिकों पर राजनीति करना ठीक नहीं: जेटली अरुण जेटली ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक को राजनीति में इस्तेमाल करना गलत है. राजनैतिक मंचों पर सैनिकों की तस्वीरें लगाना सही नहीं है. इसलिए चुनाव आयोग ने जो निर्णय लिया है वो सही है. जो लोग सैनिकों की तस्वीरों और सेनाओं का इस्तेमाल चुनावी फायदे के लिए कर रहे हैं, उनकी आलोचना होनी चाहिए. बता दें कि चुनाव आयोग ने साफ किया है कि चुनावी रैलियों और मंचों पर सैनिकों की तस्वीरों का इस्तेमाल आचार संहिता के खिलाफ है. जेटली ने विपक्ष को भी घेरते हुए कहा कि स्ट्राइक को राजनैतिक स्टंट बोलने वाले भी सरासर गलत हैं.
चुनावी सभाओं में विंग कमांडर अभिनंदन की तस्वीरें इस्तेमाल हो रही हैं
चुनावी सभाओं में विंग कमांडर अभिनंदन की तस्वीरें इस्तेमाल हो रही हैं

चुनाव से एयर स्ट्राइक का कोई लेना-देना नहीं है जेटली बोले कि जब इंटेलीजेंस से खुफ़िया जानकारी मिली कि जैश के आतंकियों की ट्रेनिंग चल रही है, तो क्या चुनाव देख के रुक जाते? एयर स्ट्राइक को पुलवामा का बदला कहना भी गलत है. उसमें शामिल लोगों को तो हमने कश्मीर में ही मार दिया है. जो एक-दो बचे होंगे उन्हें भी मौका मिलते ही ठिकाने लगा दिया जाएगा.

सबूत मांगने वाले पाकिस्तानी चैनलों की टीआरपी के लिए काम कर रहे हैं जेटली ने कहा कि कुछ लोग हैं जो राजनीति में हल्कापन लाने की कोशिश कर रहे हैं. लोग सेनाओं के ऑपरेशन्स के भी सबूत मांग रहे हैं. ऐसा कौन सा देश है जो गोपनीय जानकारियां साझा करता हो? क्या जवानों को बम गिराने के बाद आतंकवादियों की लाशें गिनने भेजते? या फिर हमारे इंटेल्स को स्ट्राइक के बाद अपनी पहचान बताकर हमले का जायज़ा लेने को कहते? जिन लोगों को डिफेंस ऑपरेशनों की जानकारी नहीं है उन्हें इन मुद्दों पर कुछ नहीं बोलना चाहिए.
हिंदुस्तान में लोग फर्ज़ी कैंपेन चलाते हैं. रफाल पर, जज लोया पर. सब पर फेक कैंपेन चलाते हैं. हमारे यहां कुछ एक सीमित लोग हैं, वामपंथी हैं, एमनेस्टी, मानवाधिकार या एडिट पेज वाले, जो सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं. फेक न्यूज फैलाते हैं. आज कुछ लोग पाकिस्तान में टीवी चैनलों की टीआरपी के लिए काम कर रहे हैं.
पाकिस्तान इसलिए मना कर रहा है क्योंकि मार खाकर चुप रहना उसकी मजबूरी है जब हमने स्ट्राइ‍क किया तो हमने दुनिया को नहीं बताया. दुनिया को पहली सूचना सुबह 4 बजकर 45 मिनट पर मिली, जो खुद पाकिस्तानी फौज ने दी. ये स्पष्ट है कि वहां की सरकार को सेना चला रही है, पाकिस्तान इस बात को नहीं स्वीकारेगा क्योंकि सेना ने अपने देश में हौवा बना रखा है कि उनकी आर्मी बहुत मजबूत है. इन घटनाओं के सच से उनकी पोल खुल जाएगी. भारत ने घुसकर उन्हें मारा, ये सच्चाई उसे दुनिया से छुपानी ही पड़ेगी. अगर इस बात की वहां की जनता को पता चल जाए तो पाकिस्तान सेना के झूठे माहौल बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा.

बालाकोट में हुए नुकसान पर बोले कि अगर पाकिस्तान स्वीकार कर ले कि इस घटना में उसके आतंकवादी मारे गए तो अंतरराष्ट्रीय कम्यूनिटी को जवाब देना पड़ता. बालाकोट में क्या हो रहा था? जो मारे गए वो कौन थे? पाकिस्तान की सरकार और सेना, दोनों के लिए मुश्किल हो जाती. संयुक्त राष्ट्र और फाइनेंशियल टास्क फोर्स का दबाव बनता. इन्हीं सब वजहों से पाकिस्तान के लिए मार खाना और उसको पी जाना ज्यादा सरल था.
1971 की लड़ाई पर हमें गर्व है, स्ट्राइक्स पर विपक्ष को भी होना चाहिए जेटली ने कहा कि इस समय में पूरे देश को एक साथ खड़े होना चाहिए, न कि सरकार या सेना पर सवाल उठाना चाहिए.
अगर हम देश में एक आवाज में बोलेंगे तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह बेहतर होगा. हम चीन से 62 की लड़ाई हार गए. सारे देश को चिंता थी प्रिजनर ऑफ वार की, लेकिन आज तक उस वॉर की डीटेल सार्वजनिक नहीं की गई, क्योंकि यह देश हित में नहीं है. 1971 में जब पाकिस्तान से जंग हुई तो आप उस समय के हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण को देख लीजिए. वे पूरी तरह से सरकार के साथ थे.
हमारी सेनाओं की सक्षमता पर हमें गर्व होना चाहिए. चाहे सरकार किसी की भी रही हो, हमने हमेशा सेनाओं के पराक्रम पर गर्व किया है. 1971 की विजय हमारे लिए गर्व की बात है. सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर आपके भी गर्व होना चाहिए.
सेना के मुखिया कह रहे हैं कि हमने टारगेट हिट किया और आप कहते हो कि झूठ बोल रहे हैं. क्या कोई जिम्मेवार देश या सेना अपने अभियान की डिटेल सार्वजनिक करता है? हमारा वहां इंटेलीजेंस था पाकिस्तान में हम क्या उसको सार्वजनिक कर सकते हैं?' इतना बड़ा सफल ऑपरेशन जिस पर एयरफोर्स सहित पूरा देश गर्व कर रहा है आप उनसे सबूत मांग रहे हो.
राहुल पर बोले, ऐसे नेताओं को सार्वजनिक जीवन से बाहर कर देना चाहिए अजीत डोवाल की भूमिका पर सवाल उठाने पर जेटली ने राहुल गांधी पर गुस्सा जताया. राहुल गांधी ने कहा था कि मौलाना मसूद अजहर अगर पाकिस्तान में है तो इसकी वजह भाजपा ही है. भाजपा की सरकार में ही अजीत डोवाल मसूद अजहर को कंधार छोड़ कर आए थे. जेटली ने इस पर कहा -
मैं कभी लिखूंगा कि ये लोग कितना फेक न्यूज़ फैला रहे हैं, ये किसी भी राजनैतिक दल के लिए दुर्भाग्य की बात है. आप वंश के आधार पर चुनें या किसी और आधार पर, लेकिन कम से कम ऐसे व्यक्ति को चुनें जो कम से कम कुछ जानकारी तो रखता हो. राहुल को पता होना चाहिए कि जब यह घटना हुई तो उस समय डोभाल आईबी में थे. न ही वे विमान में गए. वे बैकग्राउंड में काम कर रहे थे. इस अभि‍यान में और भी कई अधिकारी काम कर रहे थे. एक परंपरा है कि इंटेलीजेंस के लोगों को हम फेसलेस रखते हैं. ये नादान व्यक्ति इसको सार्वजनिक बहस का मसला बनाना चाहता है. जिन व्यक्तियों को इस प्रकार की बेसिक जानकारी नहीं है उन्हें पब्लिक लाइफ से गायब कर देना चाहिए.

राहुल गांधी को सेनाओं को शहीद होने का स्टेटस देने पर भी घेरा राहुल गांधी पर बोले कि उन्हें सेनाओं में शहीद होने वाले जवानों के बारे में भी जानकारी नहीं है. UPA सरकार ने ही पैरामिलिटरी फोर्सेस को समान स्टेटस देने का विरोध किया है. जेटली बोले कि -
राहुल ने बार-बार कहा कि जो पैरा मिलिटरी के जवान हैं उन्हें भी मिलिटरी की तरह शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए. लेकिन सच तो यह है कि न तो सेना और न ही केंद्रीय सुरक्षा बलों को इस तरह का कोई दर्जा दिया जाता है. सेना की भाषा में इसे बैटल कैजुल्टी और पैरा मिलिट्री में इसे ऑपरेशनल कैजुअल्टी कहते हैं. राहुल को इसकी बेसिक नॉलेज भी नहीं है. 2011 में मनमोहन सरकार ने दोनों को बराबरी का दर्जा देने के लिए एक कमिटी बनाई थी. पर उनकी सरकार एक कंफ्यूज़्ड सरकार थी, इसलिए कोई निर्णय नहीं कर पाई. 2017 में हमारी सरकार ने दोनों को बराबरी पर लाया. राहुल गांधी पहले बेसिक चीज समझ लें कि उनकी पार्टी ने ही ऐसा करने से इंकार कर दिया था. लेकिन 2017 में मोदी जी इसे कर चुके हैं.
हिंदू-मुसलमान की राजनीति से ऊपर उठे विपक्ष महागठबंधन पर जेटली ने कहा कि सारे नेता एक दूसरे से आगे निकलने का सोच रहे हैं. पश्चिम बंगाल में ममता सीट देने तैयार नहीं हैं, तो उत्तर प्रदेश में मायावती भी बस अपनी सीट बढ़ाने का ही सोच रहीं हैं. कुछ इलेक्शन गणित के नहीं होते केमिस्ट्री के होते हैं. ममता बनर्जी ने कहा था कि रमजान के समय पर चुनाव रखने से मुसलमान वोटरों को तकलीफ होगी इस पर जेटली ने कहा कि राजनीति के चक्कर में ममता ने चुनाव आयोग द्वारा दी हुई तारीखों को भी कम्युनल एंगल दे दिया. ममता ये भूल गईं कि इसी समय पर होली, बैसाखी, रामनवमी, गुड फ्राईडे भी पड़ेंगे. उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि 1946 में जब मोहम्मद अली जिन्ना ने डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा की थी, उस दिन रमजान का 18वां दिन था.


Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement