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कोकरनाग में सेना के जवानों की जान लेने वाला उज़ैर इलेक्ट्रीशियन से आतंकी कैसे बना?

सेना ने ऑपरेशन गरोल ख़त्म होने का ऐलान कर दिया है.

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आतंकी उजैर खान (दाएं) मुठभेड़ में मारा गया है. (फोटो सोर्स- इंडिया टुडे)

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में 13 सितंबर से शुरू हुआ सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस का जॉइंट ऑपरेशन (Operation Garol Kokernag) पूरे 7 दिन चला. सेना ने आज ऑपरेशन ख़त्म होने की जानकारी दी. मुठभेड़ में सेना ने तीन और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपना एक अधिकारी खोया है. जबकि दो आतंकी मारे गए हैं. मारे गए आतंकियों में एक का नाम उजैर खान है, जो कभी इलेक्ट्रीशियन का काम किया करता था. जम्मू-कश्मीर पुलिस का मानना है कि उजैर ने ही सेना के अधिकारियों की हत्या की है.

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जम्मू-कश्मीर पुलिस, सक्रिय आतंकियों का पूरा प्रोफाइल रखती है. प्रोफाइल माने- उसकी उम्र, पढ़ाई-लिखाई, पारिवारिक पृष्ठभूमि, उसकी आइडियोलॉजी और मिलिट्री एक्सपर्टीज़ वगैरह सब. जो आतंकी छिपे हैं, पुलिस उन्हें कैटेगरी देती है. जैसे A, A+, A++, B. ये कैटेगरी, इस बात से तय होती है कि कोई आतंकी कितना घातक है, उसके कितने हमले किए हैं, जिस आतंकी संगठन से वो जुड़ा है, उसमें उसकी स्थिति क्या है और वो सुरक्षाबलों के लिए कितनी चिंता की वजह बन सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक खबर के मुताबिक, एक साल से ज्यादा वक़्त तक उजैर खान, उन पचास स्थानीय आतंकियों की लिस्ट में एक था, जो पुलिस के रडार पर थे. पुलिस रिकार्ड्स में उसे B कैटेगरी दी गई थी. अनंतनाग में हुई हालिया मुठभेड़ में उसका नाम सामने आया. 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस में डिप्टी SP हुमायूं भट की आतंकियों से मुठभेड़ में मौत हुई थी. पुलिस का मानना है कि इन अधिकारियों की मौत के पीछे उजैर ही था. अधिकारियों की मृत्यु के अगले रोज कश्मीर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) विजय कुमार ने कहा था कि घटना के लिए उजैर और एक-दो और आतंकी जिम्मेदार हैं.

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कौन था उजैर?

28 साल का उजैर, उसी कोकेरनाग इलाके का रहने वाला था, जहां ये पूरा ऑपरेशन चल रहा था. उजैर का परिवार दक्षिणी कश्मीर के कोकेरनाग इलाके में बसे नागम गांव में रहता है. बचपन में ही उसके मां-बाप अलग हो गए थे. फिर उजैर अपने पिता और सौतेली मां के साथ रहने लगा. उन दोनों के बीच संबंधों में खटास आई तो उजैर और उसके भाई अपने नाना के यहां रहने लगे थे. बीते साल जुलाई में उसने घर छोड़ दिया था. कुछ दिन बाद पुलिस को पता चला कि वो दक्षिणी कश्मीर के इलाके में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के संपर्क में आ गया है.

अख़बार के मुताबिक, एक पुलिस ऑफिसर ने बताया,

"उसे कभी बड़े खतरे की तरह नहीं देखा गया."

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इस साल मई में पुलिस, उजैर का एनकाउंटर करने के बेहद करीब थी. उसे कोकेरनाग के जंगलों में घेर लिया गया. गोलीबारी हुई, लेकिन वो भाग निकला. पुलिस के मुताबिक, इसके बाद उसने अपना ठिकाना, घने जंगलों में बना लिया. और सीमा पार से आने वाले आतंकियों को इलाके की जानकारी देने का काम करने लगा. बतौर गाइड.

पुलिस अधिकारी ने कहा,

"हमें जानकारी मिली थी वह विदेशी आतंकियों के लिए गाइड के तौर पर काम करने के लिए उनके ग्रुप में शामिल हो गया था. इस पूरे वक़्त हमारा ध्यान बासित डार जैसे बड़े आतंकियों पर था."

बीते रविवार को पुलिस ने जंगल से एक जला हुआ शव बरामद किया था. उन्हें शक था कि ये मुठभेड़ में शामिल आतंकी ही है. इसके बाद पुलिस ने लाश की DNA प्रोफाइलिंग करने का फैसला किया था. इसके बाद ADGP विजय कुमार ने बताया कि मुठभेड़ में मारा गया आतंकी उजैर ही था. 

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