फिर सिनेमा में दिलचस्पी जागी. देखने-पढ़ने लगे. आइडिया हुआ कि जैसे हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती है. वैसे ही हर फ्लॉप फिल्म बुरी नहीं होती. 'सत्ते पे सत्ता' देखी गई. गाने याद किए गए. लेकिन तब तक कॉलेज खत्म हो चुका था. लड़कों के साथ कोरस में कभी 'बत्तियां बुझाने से भी नींद नहीं आएगी' नहीं गा पाया. वो सारा रोमैंटिसाइज़ेशन आज निकल रहा है. जिस फिल्म से मेरा इतना पुराना नाता है, वो 22 जनवरी, 1982 को रिलीज़ हुई थी. इस फिल्म को बने. फ्लॉप हुए. म्यूज़िकली सुपरहिट और कल्ट हुए 38 साल हो गए. जिस फिल्म में अमिताभ बच्चन समेत 20 एक्टर्स काम कर रहे हों, उस फिल्म से ज़्यादा इंट्रेस्टिंग तो उसके बनने का प्रोसेस रहा होगा. फिल्म से जुड़े कुछ मज़ेदार किस्से हमने भी जुटाए हैं, सुनेंगे क्या? ठीक है लेकिन पहले वो गाना सुन लीजिए:
1) वैसे तो इस फिल्म के कई सीन्स बड़े मज़ेदार हैं. लेकिन सबसे फनी सीन वो है, जिसमें अमिताभ बच्चन 'शराब नहीं पीते क्योंकि शराब पीने से लीवर खराब हो जाता है.' ये सीन बहुत खास था. क्योंकि 'शोले' के गब्बर और जय एक साथ बैठकर पार्टी कर रहे थे. दोनों इससे पहले 'परवरिश', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'कालिया' और 'लावारिस' समेत दसियों फिल्म में साथ काम कर चुके थे. इनकी आपसी सहजता और को-ऑर्डिनेशन अलग लेवल की थी. आम तौर पर क्या होता है कि एक्टर्स फिल्म की शूटिंग करते समय अपने डायलॉग बोलते हैं. शूटिंग के बाद उनके डायलॉग्स अलग से स्टूडियो में रिकॉर्ड करके फिल्म से जोड़े जाते हैं. ताकि आवाज़ क्लीयर रहे. लेकिन जैसे ही इस सीन की शूटिंग शुरू हुई डायरेक्टर राज सिप्पी को एक कलात्मक खुराफात सूझी. शूटिंग के लिए अमज़द खान और अमिताभ बच्चन तैयार हुए. कैमरा रोल हुआ और अमिताभ-अमज़द की जोड़ी ने अपना काम शुरू कर दिया. इस पूरे सीन में दोनों ने अपना कंफर्ट लेवल देखते हुए खूब सारा इंप्रोवाज़ेशन किया. इंप्रोवाइज़ेशन का मतलब होता है, कागज़ पर लिखकर मिले डायलॉग्स या हावभाव से इतर सीन में अपने मन से कुछ क्रिएटिव करने की कोशिश करना. खैर, ये सीन राज सिप्पी को इतना पसंद आया कि उन्होंने कैमरे वाली आवाज़ को ही थोड़ा-बहुत ठीक करके फिल्म में जोड़ दिया. अगर आप वो सीन देखेंगे, तो बच्चन के डायलॉग्स के साथ घर्र-घर्र-घर्र की आवाज़ भी सुनाई देगी. वो कैमरे के चलने की आवाज़ है. यहां उस सीन का वीडियो देखिए:
2) अमिताभ बच्चन के पास कई बंगले हैं. उनमें से ‘प्रतीक्षा’, ‘जनक’, ‘वत्स’ और ‘जलसा’ खास हैं. बच्चन फैमिली जलसा में रहती है. इसलिए ये बिल्डिंग काफी चर्चा में रहती है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर
के मुताबिक अमिताभ बच्चन को फिल्म 'सत्ते पे सत्ता' में काम करने के लिए रमेश सिप्पी ने 'जलसा' नाम का एक घर गिफ्ट किया था. पहले इस घर की रजिस्ट्री अमिताभ बच्चन की भाभी रमोला (अजिताभ बच्चन की पत्नी) के नाम पर करवाया गया था. टैक्स वगैरह के झोल-झाल से बचने के लिए. 2006 में जाकर 'जलसा' को जया बच्चन के नाम पर रजिस्टर करवाया गया. लेकिन ये किस्सा फैक्चुअली गलत है. 'सत्ते पे सत्ता' के डायरेक्टर थे राज सिप्पी. राज और रमेश सिप्पी के बीच समकालीन होने यानी एक ही समय फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव रहने के अलावा कोई कनेक्शन नहीं था. ऐसे में राज की बनाई फिल्म में काम करने के लिए अमिताभ को रमेश सिप्पी घर क्यों गिफ्ट करेंगे? लेकिन सनद रहे कि ये रमेश सिप्पी वही डायरेक्टर हैं, जिन्होंने अमिताभ बच्चन को लेकर 'शोले' जैसी फिल्म बनाई थी. हो सकता है रमेश ने ये बंगला अमिताभ को किसी और फिल्म के लिए दिया हो. लेकिन अभी सब कुछ कयास और अटकलों के ही हवाले से है. ये कुछ कंफ्यूज़िंग सवाल हैं, जिनका जवाब या तो अमिताभ बच्चन दे सकते हैं या रमेश सिप्पी. कभी मिलेंगे, तो पूछकर बताऊंगा.

फिल्म 'सत्ते पे सत्ता' के पोस्टर में अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी और फिल्म में अमिताभ के भाई बने बाकी के छह एक्टर्स.
3) 'सत्ते पे सत्ता' का म्यूज़िक आर.डी बर्मन उर्फ पंचम दा कर रहे थे. बच्चन की ब्लॉकबस्टर 'शोले' से लेकर 1981 में आई 'सनम तेरी कमस' और 'रॉकी' जैसी फिल्मों में उनका म्यूज़िक काफी पसंद किया गया था. पंचम वो संगीतकार थे, जिन्हें हर चीज़ में म्यूज़िक सुनाई देता था. कभी ट्रक के कल पुर्जों में, तो कभी बीयर की बोतल में. एक बार रणधीर कपूर ने पंचम को अपने पार्टनर्स के साथ आधी भरी बीयर की बोतलों में फूंककर मारकर कुछ आवाज़ निकालते देखा. उन्हें लगा पंचम का सिस्टम हिल गया है. लेकिन उनकी अक्ल ठिकाने तब आई, जब उन्होंने 'शोले' फिल्म का गाना 'महबूबा महबूबा' सुना. उन बीयर की बोतलों से निकली आवाज़ पंचम ने इस गाने की शुरुआत में इस्तेमाल की थी. खैर, हम 'सत्ते पे सत्ता' की बात कर रहे थे. जब इस फिल्म के गानों की रिकॉर्डिंग हो रही थी, तभी एनेट पिंटो नाम की एक सिंगर का गला खराब हो गया. वो पीछे बैठी स्टूडियो में ही पानी लेकर गार्गल करने लगीं. पंचम के कान खड़े हो गए. उन्होंन एनेट से कई बार गार्गल करवाया क्योंकि वो उससे एक धुन निकालना चाहते थे. बाद में उसी गार्गल साउंड को मिलाकर फिल्म के विलन बाबू की एंट्री का बैकग्राउंड स्कोर बनाया गया. फिल्म में जब भी बाबू आता, नेपथ्य से ये आवाज़ आकर हमें आगाह कर देती. अगर धुन और एंट्री दोनों भूल गए हैं, तो यहां सुनिए:
4) इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने डबल रोल किया था. वो 6 भाइयों के बड़े भइया रवि और फिल्म के विलन बाबू के रोल में नजर आए थे. बाबू और रवि को एक-दूसरे से अलग कैसे दिखाया मेकर्स के सामने ये बड़ी चुनौती थी. इसका जुगाड़ ये निकला कि रवि को दाढ़ी-मूंछ वाला लुक दिया गया. वहीं बाबू का सिर्फ कैरेक्टर ही ग्रे नहीं था. उस किरदार की आंख और सिर के बाल भी थोड़े से ग्रे शेड लिए हुए थे. बच्चन अपने एक इंटरव्यू में बताते हैं कि फिल्म के लिए बाबू वाला पोर्शन शूट करना काफी मुश्किल था. वो यूं कि पहले कॉन्टैक्ट लेंस शीशे से बने होते थे. उन्हें निकालने-लगाने में जानलेवा दर्द होता था. उसे लगाने से पहले अमिताभ की आंखों को एनेस्थीसिया की मदद से सुन्न किया जाता और फिर कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर शूटिंग होती. फिर आती रवि के कैरेक्टर की शूटिंग, जिसके लिए वो लेंस आंख से निकाले जाते. इन चक्करों में अमिताभ बच्चन की आंखे सूजकर लाल हो जाती थीं.

फिल्म 'सत्ते पे सत्ता' के एक सीन में बाबू और दूसरी तरफ रवि. बाबू पहले एक सुपारी किलर होता है लेकिन बाद में वो जिसे मारने आया होता है, उसी के साथ प्रेम में पड़ जाता है.
5) जब राज सिप्पी ने ये फिल्म प्लान की, तब वो इसमें रेखा और अमिताभ की सुपरहिट जोड़ी को कास्ट करना चाहते थे. लेकिन तब तक इन दोनों के बीच बातें बहुत बढ़ गई थीं. अमिताभ ने रेखा के साथ काम करना बंद कर दिया था. अमिताभ की लीडिंग लेडी के लिए दूसरी पसंद थीं परवीन बाबी. जया बच्चन के बाद अमिताभ ने सबसे ज़्यादा 8 फिल्में परवीन बाबी के साथी ही की थीं. लेकिन 1981-82 तक परवीन की यूजी कृष्णमूर्ति और स्पिरिचुएलिटी की ओर बढ़ चली थीं. भले उन्होंने इंडिया 1983 में छोड़ा हो फिल्मों से वो इससे दो-तीन साल पहले से ही कटने लगी थीं. इन्हीं परिस्थितियों के मद्देनज़र फिल्म के लिए आखिरी चॉइस बची थीं हेमा मालिनी. हेमा अपने खुद के कई प्रोजेक्ट्स में बिज़ी थीं. अमिताभ के कहने पर वो ये फिल्म करने को मान गईं. तब तक धर्मेंद्र और हेमा की शादी हो चुकी थी. बताया जाता है इस फिल्म की शूटिंग के समय हेमा प्रेग्नेंट थीं. फिल्म के गाने 'परियों का मेला है' की शूटिंग के दौरान तो उनका पेट काफी फूला हुआ था. इसी वजह से इस गाने के कई सीन्स में उन्हें शॉल में लिपटा हुआ दिखाया गया है, ताकि उनका पेट न दिखे. 'सत्ते पे सत्ता' की शूटिंग खत्म होने और फिल्म के रिलीज़ के बीच हेमा मालिनी मां बन चुकी थीं. उन्होंने 2 नवंबर, 1981 को अपनी पहली संतान ईशा देओल को जन्म दिया. 'परियों का मेला' गाना आप यहां देख सकते हैं:
'सत्ते पे सत्ता' को इतने सालों बाद भी फ्लॉप होने का तमगा कुछ खास नुकसान पहुंचा नहीं पाया. वो फिल्म जब भी टीवी पर आए देखी जाती है. उसके सीन्स लोगों को जबानी याद हैं. रेलेवेंस तो इतनी की उसे रीमेक करने का प्लान किया जा रहा है. रोहित शेट्टी ने 2019 में अनाउंस किया कि वो चार फिल्में प्रोड्यूस करेंगे, जिन्हें फराह खान डायरेक्ट करेंगी. इन्हीं चार में से एक फिल्म थी 'सत्ते पे सत्ता'. फिल्म में अमिताभ वाले रोल के लिए ऋतिक रौशन को लिए जाने की बात चल रही थी. हेमा मालिनी के रोल में अनुष्का शर्मा और दीपिका पादुकोण जैसै नाम चर्चा में थे. फराह ने बताया कि वो दीवाली (2019) के मौके पर इस फिल्म को अनाउंस करेंगी. लेकिन एक दिक्कत आ गई. रोहित और फराह, राज सिप्पी से फिल्म के रीमेक राइट्स नहीं खरीद पाए. इसके बाद रोहित ने उस फिल्म के रीमेक राइट्स खरीदे, जिसकी रीमेक 'सत्ते पे सत्ता' बताई जाती है. 1954 में आई हॉलीवुड फिल्म 'सेवन ब्राइड्स फॉर सेवन ब्रदर्स'. लेकिन ऋतिक हॉलीवुड फिल्म को रीमेक करने में ज़्यादा इंट्रेस्टेड नहीं थे. इस फिल्म को लेकर हर दूसरे दिन कोई न कोई खबर आती रहती है. लेकिन पुख्ता अब भी कुछ नहीं है. इन किस्सों-कहानियों को लिखते हुए रात के 3:30 बज गए हैं. और जी कर रहा है कि मैं भी चिल्लाकर गाऊं बत्तियां बुझा दो कि नींद नहीं आती है. लेकिन दिक्कत ये है कि अब बत्तियां बुझाने से भी नींद नहीं आएगी.
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