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अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद PoK पर बोले अमित शाह, 'एक-एक इंच...'

अमित शाह ने कहा, "अगर असमय सीजफायर नहीं होता, तो आज PoK नहीं होता. हमारी सेना जीत रही थी, वो भाग रहे थे. नेहरू दो दिन रुक जाते तो पूरा पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर तिरंगे के तले आ जाता."

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गृह मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा शक्ति का प्रयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं है. (फोटो- ट्विटर)

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मोदी सरकार के कदम को सही करार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले की चर्चा संसद में भी हुई. गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर विपक्ष, खास तौर पर कांग्रेस पर निशाना साधा है. 11 दिसंबर को अमित शाह राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन बिल, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2023 पर बोल रहे थे. चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा,

“सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया है. देश की संसद के दोनों सदनों ने राष्ट्रपति के सीईओ को अनुमोदन दिया. कानून पारित हो गया. कानून नोटिफाई हो गया. किसी ने सुप्रीम कोर्ट में कानून को चैलेंज किया, सुप्रीम कोर्ट में इस पर बहस हुई. पांच जजों की बेंच बनी और आज इस पर फैसला भी आ गया. मगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कांग्रेसी कहते हैं कि हम इसको नहीं मानते हैं और हम मानते हैं कि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया है.”

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गृह मंत्री ने आगे कहा कि राष्ट्रपति द्वारा शक्ति का प्रयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं है. इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी बरकरार रखा है कि धारा-370 समाप्त हो चुकी है. इसलिए जम्मू कश्मीर के संविधान का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है. उन्होंने कहा,

“मैं फिर से कह रहा हूं, पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का है, हमारा है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता.”

अमित शाह ने ये भी कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर यानी PoK भारत का अभिन्न हिस्सा है. बिल में वहां के लिए 24 सीटें रिजर्व रखी गई हैं. गृह मंत्री ने साफ किया कि जम्मू-कश्मीर का एक-एक इंच जाने नहीं देंगे. पहले जम्मू में 37 सीटें थीं. अब नए डिलिमिटेशन कमीशन ने 43 सीट कर दी हैं. कश्मीर में 46 सीटें थीं, अब 47 कर दी गई हैं.

इस तरह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी गई है जिसे भारत सरकार ने मान लिया है.

गृह मंत्री ने आगे कहा,

"सभी जानते हैं कि कश्मीर के विलय में इसलिए देरी हुई थी, क्योंकि शेख अब्दुल्ला को विशेष स्थान देने का आग्रह था. इस कारण विलय में देरी हुई और पाकिस्तान को आक्रमण करने का मौका मिला. अगर असमय सीजफायर नहीं होता, तो आज पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर (PoK) नहीं होता. हमारी सेना जीत रही थी, वो भाग रहे थे. नेहरू दो दिन रुक जाते तो पूरा पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर तिरंगे के तले आ जाता."

अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा,

"जो युवा पत्थर लेकर घूमते थे, मोदी सरकार ने उन युवाओं के हाथ में लैपटॉप पकड़ाने का काम किया है. 370 की आड़ में आतंकवाद और अलगाववाद की बात करने वाले लोगों को आज कश्मीर की जनता अनसुना करती है और विकास की बात करती है."

गृह मंत्री ने कांग्रेस शासन में हुई आतंकी गतिविधियों पर भी बात की. उन्होंने कहा,

"2004 से 2014 के बीच सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह का शासन काल था. इस दौरान आतंकवाद की कुल 7 हजार 217 घटनाएं हुईं. 2014 से 2023 नरेन्द्र मोदी सरकार के शासन में सिर्फ 2 हजार 197 आतंकवाद की घटनाएं हुईं. इन 10 वर्षों में आतंकवाद की घटनाओं में 70 फीसदी की कमी आई है."

अमित शाह ने सवाल करते हुए आगे कहा कि धारा 370 से पहले आतंकवादियों के जनाजे में 25-25 हजार लोगों की भीड़ आती थी. लेकिन 370 के बाद कोई भीड़ देखी गई? क्योंकि हमने निर्णय किया है, जो भी आतंकवादी मारा जाएगा, उसे उसी जगह पर संपूर्ण धार्मिक सम्मान और रीति-रिवाज के साथ वहीं दफना दिया जाएगा.    

वीडियो: अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही क्या कहा?