टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के 20 से ज्यादा अमेरिकी कर्मचारियों ने कंपनी पर नस्ल और उम्र के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया गया है. इन कर्मचारियों का आरोप है कि TCS ने उन्हें अचानक नौकरी से निकालकर उनकी जगह पर H1-B वीजा पर भारत से आए लोगों को नौकरी दे दी.
TCS ने अमेरिका के 20 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, गंभीर आरोप लगे
अमेरिकी कर्मचारियों का आरोप है कि TCS ने उन्हें अचानक से नौकरी से निकाल दिया और उनकी जगह पर H1-B वीजा पर भारत से आए लोगों को नौकरी दे दी.

TCS ने जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है उनमें कॉकेशियन ( नार्थ अमेरिकन), एशियन अमेरिकन और हिस्पैनिक अमेरिकन (स्पेन मूल के अमेरिकी) शामिल हैं. इनकी उम्र 40 से 60 साल के बीच है. ये सभी लोग अमेरिका के कई राज्यों में रहते हैं. अमेरिकी मीडिया वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस मामले पर रिपोर्ट की है.
इन सभी अमेरिकी प्रोफेशनल्स ने TCS पर एच-1बी वीजा रखने वाले भारतीयों को नौकरी में वरीयता देने की आरोप लगाया है. उनका कहना है कि TCS ने भेदभाव करके कानूनों का उल्लंघन किया है. अमेरिका में भारतीय आईटी कंपनियां एच-1बी वीजा का किस तरह इस्तेमाल कर रही है, इसे लेकर जांच जारी है. अमेरिकी कर्मचारियों ने आशंका जताई है कि कम योग्यता और सैलरी वाले विदेशी कर्मचारी उनकी जगह ले रहे हैं. जबकि इस मामले को लेकर TCS के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत में कहा गया है कि नौकरी से निकाले गए कई यूएस कर्मचारियों के पास ज्यादा योगय्ता थी.
इस मामले में हिंदुस्तान टाइम्स को टीसीएस के प्रवक्ता ने कहा कि 'भेदभाव' से संबंधित आरोप 'बेबुनियाद और भ्रामक' हैं. कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि टीसीएस के पास "अमेरिका में समान अवसर देने और अपने ईमानदारी के साथ काम करने का मजबूत रिकॉर्ड है."
एच-1बी वीजा क्या है?एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है. एच1बी वीजा आमतौर पर उन लोगों को दिया जाता है जो दूसरे देश से अमेरिका में काम करने के लिए जाते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो ये वीजा अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है.
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TCS का हेडक्वार्टर भारत में है. कंपनी में 6 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं. कंपनी अपने रेवेन्यू का लगभग आधा हिस्सा नॉर्थ अमेरिका से रिसीव करती है, लेकिन तुलनात्मक रूप से अमेरिका में कंपनी का वर्कफोर्स कम है.
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