The Lallantop

"हमें तेजस भी नहीं मिले...", इसके बाद IAF चीफ ने चीनी वायु सेना का जिक्र कर टेंशन बढ़ा दी

1984 में तेजस विमान की कल्पना की गई. पहला तेजस 17 साल बाद 2001 में उड़ा. 15 साल बाद 2016 में वायुसेना में शामिल किया गया. वायुसेना के पास पहले बैच के 40 विमान भी नहीं हैं.

post-main-image
तेजस के साथ एयर चीफ मार्शल एपी सिंह. (India Today)

भारतीय वायु सेना (IAF) के एयर चीफ़ मार्शल एपी सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों की धीमी गति से डिलीवरी पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि 2009-2010 में ऑर्डर किए गए 40 विमानों का पहला बैच अभी तक एयरफोर्स को नहीं मिला है. वायु सेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि ऐसे समय में उत्पादन का पैमाना बढ़ाने की जरूरत है जब ‘चीन जैसे भारत के विरोधी अपनी वायु सेना में भारी निवेश कर रहे हैं’.

चीन के 6th जनरेशन स्टेल्थ लड़ाकू विमान के परीक्षण के बाद वायु सेना अध्यक्ष की ये तीखी टिप्पणी आई है. उन्होंने साफ कहा कि जो उपलब्धि चीन ने हासिल की है वह कोई दूसरा देश नहीं कर पाया है. एपी सिंह ने कहा कि पहला तेजस जेट 2001 में उड़ा था, उसके 15 साल बाद वायु सेना में इसका इंडक्शन शुरू हुआ.

इंडिया टुडे के मुताबिक IAF चीफ ने कहा,

"हमें 1984 में वापस जाना चाहिए, जब हमने उस विमान की कल्पना की थी. पहला विमान 17 साल बाद 2001 में उड़ा. इसे 15 साल बाद 2016 में वायु सेना में शामिल किया गया. आज हम 2024 में हैं. हमारे पास पहले बैच के 40 विमान भी नहीं हैं. यह उत्पादन क्षमता है."

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि टेक्नॉलजी के इस्तेमाल में देरी, टेक्नॉलजी से वंचित करने के बराबर है.

तेजस एक मल्टीरोल हल्का लड़ाकू विमान है जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया है. इसे पुराने हो चुके मिग 21 लड़ाकू विमान की जगह लेने के लिए शामिल किया जाने का प्लान है. मिग 21 का क्रैश रेट इतना ज्यादा है कि उसे 'फ्लाइंग कॉफिन' यानी 'उड़ता हुआ ताबूत' तक कहा जाता है.

इस मुद्दे पर वायु सेना चीफ ने कहा कि प्रोडक्शन एजेंसीज़ को एडवांस्ड मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस में निवेश करने की जरूरत है. साथ ही सिंह ने प्राइवेट प्लेयर्स को भी शामिल करने पर ज़ोर दिया. एयर चीफ मार्शल ने जोर देकर कहा, 

"मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि हमें कुछ प्राइवेट प्लेयर्स को लाने की जरूरत है. हमें प्रतिस्पर्धा की जरूरत है. हमें कई स्रोत उपलब्ध कराने की जरूरत है ताकि कंपनियों को ऑर्डर दूसरी जगह जाने का डर रहे. अन्यथा, चीजें नहीं बदलेंगी."

एयर चीफ मार्शल की नाराज़गी लाज़मी है. वायु सेना अपनी ताकत में भारी कमी का सामना कर रही है. वर्तमान में एयरफोर्स के पास 30 लड़ाकू स्क्वॉड्रन हैं. उसकी क्षमता 42 है. एक लड़ाकू स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं. जबकि चीन ने 6th जनरेशन के दो लड़ाकू विमान बनाकर सबको अचंभित कर दिया है.

वायु सेना प्रमुख एपी सिंह ने 'चीन और पाकिस्तान की तरफ से बढ़ते सैन्यीकरण' पर भी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि भारत की उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर सेनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा,

“आज दुनिया एक अनिश्चित स्थिति में है, जहां संघर्ष और प्रतिस्पर्धा हावी है. पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर हमारी अपनी सुरक्षा चिंताएं हैं. चीन और पाकिस्तान द्वारा सैन्यीकरण बढ़ा दिया गया है.”

भारत के पड़ोसी देश के सैन्य आधुनिकीकरण की आश्चर्यजनक गति पर चिंता जताते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा,

"जहां तक ​​चीन का सवाल है, यह सिर्फ संख्या की बात नहीं है, यहां तक ​​कि टेक्नॉलजी भी बहुत तेजी से बढ़ रही है. हमने हाल ही में उनके द्वारा उतारे गए नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की उड़ान देखी है."

गौरतलब है कि भारत का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान अभी भी डिजाइन और डेवलपमेंट के चरण में है. वायु सेना प्रमुख ने कहा कि चूंकि चीन वायु शक्ति में तेजी से आगे बढ़ रहा है, इसलिए स्वदेशी कार्यक्रमों में देरी जारी रहने पर भारत के पीछे छूट जाने का खतरा है.

वीडियो: रखवाले: तेजस विमानों की खरीद से इंडियन एयरफोर्स को कितना फायदा होगा?