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कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, लेकिन यूपी सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं?

योगी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के बयान से तो कुछ ऐसा ही लग रहा.

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कांवड़ यात्रा पर सरकार के रवैये को सुप्रीम कोर्ट ने हैरान परेशान करने वाला बताते हुए जवाब मांगा, लेकिन इसके कुछ ही देर बाद यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का चौंकाने वाला बयान आ गया. (फोटो इंडिया टुडे)
देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आशंकाएं दिनों दिन गहरा रही हैं. इस बीच कांवड़ यात्रा को लेकर गहमागहमी है. उत्तराखंड सरकार के इनकार के बावजूद यूपी सरकार कांवड़ यात्रा के आयोजन पर लगातार जोर दे रही है. मामले की गंभीरता देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को खुद इस मामले का संज्ञान लेना पड़ा है. कोर्ट ने यूपी सरकार के इरादों को 'डिस्टर्बिंग' मानते हुए पूछा है कि आखिर कोविड संकट के बीच कांवड़ यात्रा क्यों? लेकिन इसके बाद भी यूपी सरकार के रुख में बदलाव होता नजर नहीं आ रहा. कम से कम योगी आदित्यनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह के बयान से तो यही लग रहा है. उत्तराखंड का इनकार, यूपी तैयार कांवड़ यात्रा इस बार 25 जुलाई से 6 अगस्त के बीच प्रस्तावित है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कांवड़ यात्रा के आयोजन की तैयारी शुरू करने की अनुमति दे चुके हैं. उन्होंने कहा है कि कोरोना प्रोटोकॉल और एक्सपर्ट्स के आंकलन को ध्यान में रखते हुए पारंपरिक कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाए. हालात को देखते हुए नेगेटिव RT-PCR रिपोर्ट के साथ यात्रा की इजाजत दी जा सकती है. उन्होंने इस संबंध में पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा से बातचीत भी करने के लिए भी अधिकारियों से कहा था. लेकिन उत्तराखंड सरकार ने काफी विचार विमर्श के बाद यात्रा का आयोजन रद्द करने का फैसला किया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कांवड़ यात्रा लाखों लोगों की आस्था की बात है, लेकिन लोगों की जान को खतरा नहीं होना चाहिए. जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है. अगर यात्रा के कारण एक भी जान जाती है तो भगवान को अच्छा नहीं लगेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब कांवड़ यात्रा को लेकर बुधवार 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया. जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हमने कुछ परेशान करने वाली पढ़ी है कि उत्तर प्रदेश सरकार कांवड़ यात्रा को जारी रखना चाहती है, जबकि उत्तराखंड सरकार इनकार कर चुकी है. हमें जानना है कि संबंधित सरकारें इस पर क्या कहती हैं. जस्टिस नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि-
भारत के नागरिक पूरी तरह हैरान-परेशान हैं. वो नहीं जानते कि हो क्या रहा है, क्योंकि अलग-अलग राज्य कांवड़ यात्रा पर अलग-अलग रुख अपना रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि जिस दिन ये राज्य फैसले ले रहे थे, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत के दौरान कहा था कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करके महामारी की तीसरी लहर को रोकना लोगों पर निर्भर है. हम थोड़ा भी समझौता नहीं कर सकते. बेंच ने अखबार की रिपोर्ट में इस तथ्य पर भी गौर किया कि 2019 में कांवड़ यात्रा के दौरान 3.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने हरिद्वार का दौरा किया था. दो करोड़ से अधिक लोग पश्चिमी यूपी में तीर्थस्थलों का दौरा करने गए थे. कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के मसले पर यूपी और उत्तराखंड के प्रधान सचिवों से शुक्रवार 16 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है. केंद्र सरकार का पक्ष भी मांगा है. अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी. यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा? कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के कुछ ही घंटे बाद यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का बयान आया. कोर्ट के सवालों पर उन्होंने कहा कि जब अदालत में सुनवाई होगी, तब हम उसका जवाब देंगे. हम अदालत के सभी निर्देशों और गाइडलाइंस का पालन करेंगे. लेकिन इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि
सरकार 25 जुलाई से पहले कांवड़ यात्रा को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर लेगी. यह (यात्रा) आस्था का विषय है और हर साल की तरह यह यात्रा होगी. यह कोई नई यात्रा नहीं है.
मंत्री ने कहा कि यह यात्रा राज्य की जिम्मेदारी है. हम सुनिश्चित करेंगे कि श्रद्धालुओं की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग हो. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करेंगे. बहरहाल अब देखना ये है कि कोरोना की पहली लहर में कुंभ के आयोजन से यूपी सरकार सबक लेती है या नहीं. देखना ये भी होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या रुख अपनाता है.

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