अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ते वक्त कहा था कि वो इसलिए जा रहे हैं क्योंकि खूनखराबा नहीं चाहते. (फोटो- पीटीआई)
तालिबान (Taliban) के काबुल (Kabul) पर कब्जे की खबर से कुछ घंटे पहले की सबसे बड़ी खबर यही थी कि अफगानिस्तान (Afghanistan) के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) ने देश छोड़ दिया है. पहले खबर आई कि वह पड़ोस के किसी देश में चले गए हैं, लेकिन फिलहाल इस बात की पुष्ट जानकारी नहीं है कि वह कहां हैं. हालांकि उनके देश छोड़ने को लेकर काबुल के रूसी दूतावास ने चौंकाने वाला दावा किया है. रूसी दूतावास का कहना है कि राष्ट्रपति अशरफ गनी अफगानिस्तान से जाते-जाते 4 कारों और एक हेलिकॉप्टर में पैसे भरकर भी साथ ले गए हैं. पैसा इतना ज्यादा था कि सब कारों और हेलिकॉप्टर में नहीं समाया तो कुछ रकम पीछे भी छोड़ गए. बता दें कि 15 अगस्त को अशरफ गनी ने ये कहते हुए देश छोड़ दिया था कि वह खून-खराबा नहीं चाहते.
अफगानिस्तान में बना हुआ है रूस
तालिबान के अफगानिस्तान पर पूरी तरह से काबिज होने के बाद कई पश्चिमी देशों ने अपने दूतावास आनन-फानन में बंद किए और लोगों को वहां से निकाला. वहीं रूस उन चंद देशों में है, जो अब भी अफगानिस्तान में बना हुआ है. रूस का कहना है कि वो काबुल में अपनी राजनयिक उपस्थिति बनाए रहेगा. उसे उम्मीद है कि तालिबान से बेहतर संबंध बनाए जा सकते हैं. लेकिन उसका ये भी कहना है कि वह अभी तालिबान के रवैये पर नजर बनाए हुए है. तालिबान की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने की उसे कोई जल्दी नहीं है. रूस का समाचार एजेंसी RIA को रूसी दूतावास के प्रवक्ता निकिता इस्चेंको ने बताया कि
"जहां तक पिछली सरकार के पतन का सवाल है तो इसे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने के तरीके से ही समझा जा सकता है. पैसों से भरी चार कारें, इसके बाद जो पैसा बचा, उसे हेलिकॉप्टर में भरने की कोशिश की गई. लेकिन वो सब इसमें नहीं समाया. इसके बाद कुछ पैसा बचा तो उसे सड़क पर छोड़कर चले गए."
रूसी दूतावास के प्रवक्ता इस्चेंको ने यही बात समाचार एजेंसी रॉयटर्स को भी बताई. उन्होंने इसके लिए एक प्रत्यक्षदर्शी का हवाला दिया. हालांकि रॉयटर्स ने इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है. इससे पहले, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खास प्रतिनिधि ज़ामिर कबुलोव कह चुके हैं कि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि भागने से पहले अफगानिस्तान की सरकार कितना पैसा अपने पीछे छोड़ गई है. काबुलोव ने मॉस्को के एक रेडियो स्टेशन से कहा कि-
"मुझे उम्मीद है कि भाग चुकी सरकार अपने साथ बजट का सारा पैसा लेकर नहीं गई होगी. अगर कुछ बचा है तो यही बजट का आधार होगा."
अफगानिस्तान में फिलहाल अनिश्चितता के हालात बने हुए हैं. 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद अभी ये तय नहीं हो पाया है कि देश में किस तरह की सरकार होगी. कानून-व्यवस्था संभालने के लिए सड़कों पर तालिबान लड़ाके ही मौजूद हैं. फिलहाल पाकिस्तान और चीन जैसे देश लगातार उम्मीद जता रहे हैं कि तालिबान इलाके में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्हें एक मौका देना चाहिए.