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पूर्व CJI के सामने वकील ने बताया था सिंगल मॉल्ट शराब को अपना फेवरेट, फिर क्या हुआ?

CJI DY Chandrachud की अध्यक्षता में Supreme Court की 9 जजों की संवैधानिक पीठ 'औद्योगिक शराब' मामले की सुनवाई कर रही थी. इस दौरान सीनियर वकील दिनेश द्विवेदी शराब का ज़िक्र ले आए.

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सुप्रीम कोर्ट में वकील ने सिंगल मॉल्ट व्हिस्की का ज़िक्र कर दिया. (फ़ोटो - यू-ट्यूब/लाइव लॉ)

बात पिछले साल यानी अप्रैल 2024 की है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पूर्व CJI डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने एक वकील ने सिंगल मॉल्ट शराब का ज़िक्र कर दिया. बताया कि उन्हें सिंगल मॉल्ट पसंद है. वकील ने CJI के सामने अपनी एडिनबर्ग शहर की यात्रा का भी ज़िक्र किया, जो सिंगल मॉल्ट का मक्का है. एडिनबर्ग का ज़िक्र करते हुए उन्होंने शराब से जुड़ा एक क़िस्सा भी सुना दिया.

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ 'औद्योगिक शराब' बनाने, बेचने और आपूर्ति में केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों के बंटवारे के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी. इस संवैधानिक पीठ को तत्कालीन CJI चंद्रचूड़ लीड कर रहे थे. उनके साथ जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां इस पीठ में शामिल थे.

इस पीठ के सामने ही वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी अपना पक्ष रख रहे थे. इस दौरान उन्होंने सिंगल मॉल्ट शराब को अपनी प्राथमिकता बताया. उन्होंने कहा,

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"मुझे सिंगल मॉल्ट शराब पसंद है. मैं एडिनबर्ग गया, जो सिंगल माल्ट शराब का मक्का है. मैं बर्फ के कुछ टुकड़े चाहता था. लेकिन वेटर इससे नाराज़ हो गया. उसने कहा कि आपको इसे नीट पीना है. आप इसमें कुछ मिला नहीं सकते. इसके लिए एक अलग गिलास है. पहली बार मुझे इसके बारे में पता चला."

इस वाकये से एक दिन पहले यानी 02 अप्रैल 2024 को भी इस मामले में सुनवाई चल रही थी. इसी दौरान दिनेश द्विवेदी ने अपने रंगीन बाल के लिए माफी मांगी थी. उन्होंने कहा था,

"मेरे रंगीन बालों के लिए माफ़ी. ये होली की वजह से हुआ है. आस-पास बहुत सारे बच्चे और पोते-पोतियां होने का यही नुकसान है. आप अपने आप को नहीं बचा सकते."

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इस पर तत्कालीन CJI चंद्रचूड़ ने भी उनसे मजाक किया था. पूर्व CJI ने पूछा था, "इसका शराब से तो कोई लेना-देना नहीं?”

इस पर दिनेश द्विवेदी ने हंसते हुए कहा था,

“ऐसा होता है. मैं मानता हूं कि होली का मतलब आंशिक रूप से शराब है... मैं व्हिस्की का प्रशंसक हूं.”

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लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक़, ये मामला 2007 में 9 जजों की पीठ को भेजा गया था. ये उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की धारा 18G की व्याख्या से संबंधित है. धारा 18G केंद्र सरकार को ये तय करने का अधिकार देती है कि अनुसूचित उद्योगों से संबंधित कुछ उत्पादों को सही तरीक़े से वितरित किया जाए और ये उचित दाम उपलब्ध हों. केंद्र सरकार इन उत्पादों की आपूर्ति, वितरण और व्यापार को नियंत्रित करने के लिए एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करके ऐसा कर सकती है.

हालांकि, संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची III के मुताबिक़, राज्य विधायिका के पास संघ नियंत्रण के तहत उद्योगों और इसी तरह के आयातित सामानों के उत्पादों के व्यापार, उत्पादन और वितरण को विनियमित करने की शक्ति है.

वीडियो: 'दूसरे पक्ष को सुने बिना...', मीडिया पर CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

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