The Lallantop

एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद रोना विल्सन के फोन को पेगासस से ट्रेस किया गया था?

रोना विल्सन को जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था.

Advertisement
post-main-image
रोना विल्सन की फाइल फोटो उनके फेसबुक पेज से (बाएं) पेगासस की सांकेतिक तस्वीर (दाएं)
एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार एक्टिविस्ट रोना विल्सन के स्मार्टफोन में पेगासस स्पाइवेयर मौजूद था. एक नए फोरेंसिक विश्लेषण में ये जानकारी सामने आई है. डिजिटल फोरेंसिक कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग ने अपने एनालिसिस के आधार पर कहा है कि विल्सन के ऐपल फोन को NSO ग्रुप (इजरायली कंपनी) के एक ग्राहक द्वारा निगरानी के लिए चुना गया था. वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्सेनल कंसल्टिंग के विश्लेषण से पता चला है कि विल्सन के Iphone 6s को पेगासस के जरिये ट्रेस किया गया था. फोन के दो बैकअप में इस डिजिटल ट्रेसिंग के निशान मिले हैं. इसी साल फरवरी में रोना विल्सन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उनके वकील ने कहा था कि रोना विल्सन के लैपटॉप से बरामद 'साजिश के मेल' को प्लांट किया गया था. वकील का दावा था कि ये मेल विल्सन ने नहीं लिखे थे, बल्कि उनके लैपटॉप से छेड़छाड़ की गई थी. आर्सेनल कंसल्टिंग की ही रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने ये दावा किया था. याचिका में कहा गया था कि जांच में उनके लैपटॉप में एविडेंस प्लांट किए जाने का पता चला था. याचिका के मुताबिक 13 जून 2016 को इस मालवेयर को कथित तौर पर एक ईमेल के जरिए विल्सन के लैपटॉप में प्लांट किया गया था. रोना विल्सन की 6 जून 2018 को हुई गिरफ्तारी से दो साल पहले. उस समय जो फोरेंसिक रिपोर्ट तैयार की गई थी, उसमें बताया गया था कि रोना विल्सन को 'फंसाने के लिए' लेटर उनके लैपटॉप में डाला गया था. ये काम किसी हैकर के जरिए अंजाम दिया गया था. बता दें कि विल्सन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने दावा किया था कि रोना विल्सन के लैपटॉप से बहुत से दस्तावेज मिले हैं. इनमें एक लेटर ऐसा है जिसमें कथित तौर पर हथियारों की जरूरत और वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकने की योजना के बारे में लिखा गया था. इससे पहले एल्गार परिषद मामले के एक और आरोपी सुरेंद्र गडलिंग को लेकर भी इसी तरह की खबर आई थी. जुलाई 2021 में आई ये रिपोर्ट भी वॉशिंगट पोस्ट की थी, जिसमें बताया गया था कि गडलिंग के खिलाफ मिले डिजिटल साक्ष्य उनके कंप्यूटर में प्लांट किए गए थे. कौन हैं रोना विल्सन? रोना विल्सन एक सामाजिक कार्यकर्ता और शोधकर्ता हैं. केरल के रहने वाले हैं. गिरफ्तारी से पहले वो दिल्ली में रह रहे थे. JNU से M.Phil करने के बाद वो इंग्लैंड की एक यूनिवर्सिटी से Ph.D करने वाले थे. इसके लिए उन्होंने वहां की दो यूनिवर्सिटीज को प्रपोजल भेजा था. दोनों ही ने ये प्रपोजल स्वीकार कर लिया था. विल्सन स्क़ॉलरशिप के लिए अप्लाई करने वाले थे. लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने एल्गार परिषद मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया. रोना विल्सन राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए बनाई गई समिति (CRPP) में मीडिया सचिव के रूप में भी काम कर चुके थे. उन्होंने जीएन साईंबाबा के मामले में उनकी कानूनी टीम के साथ काम किया था. साईंबाबा नक्सलियों से संबंध रखने के लिए सलाखों के पीछे हैं. चलते-चलते ये भी बता दें कि एल्गार परिषद मामला क्या है. 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था. इसके दूसरे दिन यानी 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई थी. इस हिंसा के लिए एल्गार परिषद को भी जिम्मेदार ठहराया गया. परिषद में शामिल नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था. बाद में इस मामले में एक के बाद एक कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से अधिकतर अभी भी जेल में हैं.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement