आज तारीख़ है 16 नवंबर, 2022. बीते तीन दिनों से मीडिया में एक ही ख़बर है. 26 साल की एक लड़की की हत्या की ख़बर. नृशंस हत्या. इसलिए कि आरोपी ने मई महीने में ही लड़की की हत्या कर दी थी और शव को काटकर अपनी फ़्रिज में रख लिया. और, अगले कई दिनों तक शव के टुकड़ों को फेंकता रहा. ऐसा आरोपी ने ख़ुद क़ुबूला है. पुलिस के सामने. अपने क़ुबूलनामे में ये भी बताया कि वो सामान्य जीवन जीता रहा. रोज़ उसी कमरे में सोता था, जिस कमरे में हत्या की. शव के टुकड़े रखने के लिए लोकल मार्केट से जो फ़्रिज ख़रीदी थी, शव को पूरी तरह ग़ायब करने के बाद उसी में दूध-दही रखता था. सोशल मीडिया पर लोगों ने आरोपी को 'साइको' क़रार दिया. मेनस्ट्रीम मीडिया ने इस घटना को हर मुमकिन ऐंगल कवर कर लिया. गंध दूर करने के लिए कौन सा फ़्रेशनर इस्तेमाल किया से लेकर ख़ून के धब्बे कैसे साफ़ किए तक, सब कुछ.
श्रद्धा और आफताब के बीच कहां 'बिगड़ी' बात, क्या है तीन साल की पूरी कहानी?
आफताब को कोई अफसोस नहीं है.

असल में, वाक़ये में विचलित करने वाली बात ये है कि आरोपी और मृतका एक दूसरे के साथ एक प्रेम-संबंध में थे. घरवालों ने संबंध पर आपत्ति जताई, तो वहां से चले गए. शहर छोड़ दिया और साथ में रहने लगे. प्रेम से हत्या के बीच क्या-क्या हुआ, इस पर चर्चा कम है. पुलिस जांच में जो बातें सामने आई हैं, उसके आधार पर श्रद्धा वालकर और आफ़ताब पूनावाला के बीच क्या गलत हुआ, ये समझने की कोशिश करेंगे.
मुंबई में शुरूश्रद्धा विकास वालकर. महाराष्ट्र के पालघर में रहती थी. मां, पिता और छोटे भाई के साथ. पिता की पालघर में ही एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है. 25 साल की श्रद्धा, 2018 में नौकरी की तलाश में पहली बार मुंबई आई. मलाड में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई. कॉल सेंटर में. इसी कंपनी में काम कर रहा था आफ़ताब अमीन पूनावाला. पुलिस के मुताबिक़, श्रद्धा और आफ़ताब एक कंपनी में होते हुए भी पहली बार डेटिंग ऐप के ज़रिए मिले. फिर मिलते रहे और सात-आठ महीनों में प्रेम हो गया.
साल 2019 की शुरुआत में श्रद्धा और आफ़ताब ने तय किया कि अलग-अलग रहने की बजाय, दोनों साथ ही रहेंगे. मलाड में ही एक किराए के घर में शिफ़्ट हो गए. कुछ दिन बाद, श्रद्धा ने अपनी मां को अपने रिश्ते के बारे में बता दिया. श्रद्धा के मां-पिता ने रिश्ते का विरोध किया. श्रद्धा को बात करने के लिए घर बुलाया. श्रद्धा घर गई, मगर बात बनी नहीं. परिवार वाले अपनी बात पर अड़े रहे, श्रद्धा अपनी. आफ़ताब के साथ रहने और शादी करने पर श्रद्धा का मत साफ़ था. मां-पिता गुस्सा गए, तो श्रद्धा ने घर छोड़ दिया. ये तक कह दिया, 'आज से आपकी कोई बेटी ही नहीं है.'
घरवालों से दूरी हो गई. रोज़मर्रा की जानकारियां वॉट्सऐप-फ़ेसबुक से मिल जाती थीं. कभी-कभी मां से फोन पर बात हो जाती थी. फिर 23 जनवरी 2020 को श्रद्धा की मां की मौत हो गई. मां की मौत की ख़बर सुनकर श्रद्धा घर आई, लेकिन फिर मुंबई वापस चली गई. श्रद्धा के पिता के मुताबिक़, श्रद्धा ने अपनी मां को बताया था कि आफ़ताब और उसके बीच झगड़े होते थे. पिता ने श्रद्धा से कहा कि वो आफ़ताब के साथ रिश्ता ख़त्म कर दे, लेकिन वो मानी नहीं. इसके बाद दो साल तक बाप-बेटी में बात-चीत बंद हो गई.
दिल्ली में ख़त्म8 मई 2022 को श्रद्धा और आफ़ताब, मुंबई छोड़कर दिल्ली आ गए. दो वजह थीं. एक तो परिवारों का विरोध. और दूसरी, बेहतर नौकरी की उम्मीद. शुरुआत के दो दिन होटल में बिताए फिर एक कॉमन फ्रेंड के घर में रुके. कुछ दिन बाद छतरपुर में ही एक घर किराए पर ले लिया. आफ़ताब को नौकरी मिल गई, श्रद्धा की तलाश जारी थी.
18 मई की रात. आफ़ताब और श्रद्धा के बीच झगड़ा हुआ. दो-एक मुख्य वजहें थीं. एक तो ये कि श्रद्धा शादी करना चाहती थी और आफ़ताब टाल रहा था. इसके आलावा आर्थिक अस्थिरता की भी आशंका है. झगड़ा इतना बढ़ा कि आफ़ताब ने श्रद्धा का ‘गला घोंट’ दिया. हत्या ‘कर’ दी. इसके बाद की कहानी पुलिस जांच में सामने आ ही गई है. अगले दिन आफ़ताब ने फ़्रिज ख़रीदा. शव के टुकड़े किए और उन्हें फ़्रिज में रखा. गंध न आए, इसलिए कई इंतज़ाम किए. फ़्रेशनर से लेकर अगरबत्ती तक, सब इस्तेमाल किया. पड़ोसियों को भनक तक न लगने दी और हत्या के 19 दिन बाद तक शव के टुकड़े फेंकता रहा. हर रात. प्लास्टिक बैग में भरकर.
क्योंकि परिवार वालों से कोई संपर्क नहीं था, इसलिए उन्हें बहुत समय तक कुछ पता नहीं चला. श्रद्धा के दोस्तों से ये पता चल गया था कि दोनों दिल्ली में कहीं रह रहे हैं. फिर श्रद्धा के भाई को पता लगा कि श्रद्धा का फोन दो महीने से बंद है. फिर श्रद्धा के पिता ने पहले मुंबई में, फिर दिल्ली में शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने इसके बाद आफ़ताब को पकड़ा और मामले की जांच शुरू की.
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