मेरठ के रहने वाले जितेंद्र वर्मा हर रोज की तरह आज भी अपने छोले-चावल का ठेला लगाकर अपनी दुकानदारी में लगा हुआ था. ठंड की वजह से उसके पास छोले-चावल खाने लोग काफी संख्या में आ रहे थे. आज उसकी खूब कमाई हो रही थी. कुछ ही देर बाद तेज बारिश शुरू हो गई. और बारिश के कारण उसके गल्ले में रखे दो हजार और पांच सौ रुपए के नए नोट भीग गए. भीगने की वजह से उसके नए नोटों के रंग उड़ गए. जिससे हताश-परेशान जितेंद्र इन नोटों को लेकर बैंक के लिए भागा. लेकिन बैंक वालों ने इन नोट को लेने से मना कर दिया. अब अपनी रोजी-रोटी के लिए दो पैसे कमाने वाला जितेंद्र बहुत निराश है.उसके लिए अब एक ही विकल्प बचा है कि वो इन नोटों को बदलवाने रिजर्व बैंक जाए. पर ठेला लगाने वाले एक साधारण सा मजदूर पैसे खर्च कर के और अपनी दुकान बंद कर पैसे बदलवाने रिजर्व बैंक कैसे जाए. उसके तो लेने के देने पड़ जाएंगे. जब सरकार ने ऐसे नए नोट बनाएं हैं कि हल्का सा पानी पड़ते ही उसके रंग उतर जाता है. फिलहाल तो एक मजदूर जितेंद्र की कमाई पर पानी फिर गया है.
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जरा सा पानी क्या बरसा नए नोटों का तो रंग ही चला गया
नोट भीग गए. रंग उड़ गया. अब बैंक वाले लेने से मना कर रहे हैं. बेचारा आदमी परेशान है.

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नए नोटों को लेकर कहा गया कि हाथ से रगड़ने पर या पानी से भिगाने पर ये रंग छोड़ता है. यहां तक कि नए नोटों को पहचानने के तरीकों में से इसे भी एक तरीका बताया गया है. पर नए नोटों कि यही खासियत आज एक गरीब के लिए परेशानी का सबब बन गया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज झमाझम बारिश हुई है. इस बारिश की वजह से मौसम तो ठंडा हो ही गया, साथ ही एक ठेला लगाने वाले को भी हैरत में डाल दिया. आज हुए बारिश की वजह से ठेला लगाने वाले एक शख्स के दो हजार और पांच सौ रुपये के नए नोटों के रंग बदल गए.