विवाह फिल्म का बेहद इमोशनल सीन. जब प्रेम यानी शाहिद कपूर पूनम यानी अमृता राव से मिलने हॉस्पिटल आता है. एक हादसे में पूनम का पूरा शरीर जल चुका है. अब शायद पूनम कभी भी पहले जैसी नहीं हो पाएगी. प्रेम से कहती है कि वो किसी और से शादी कर ले. लेकिन प्रेम कहता है कि वो उससे प्यार करता है. शादी करेगा तो उसी से. फिर हॉस्पिटल में ही सिन्दूर से पूनम की मांग भर देता है. कुछ और इमोशनल सीन्स के बाद आखिर में हैप्पी एंडिंग हो जाती है.
अगर आपको लगता है कि ऐसा सिर्फ फिल्मों में हो सकता है. ये वाली खबर आपके लिए है. जैसा विवाह फिल्म में हुआ था ना. कुछ वैसा ही कर्नाटक के एक गांव में हुआ. चित्रदुर्गा डिस्ट्रिक्ट में रहने वाली नेत्रवती को चल्लाकेरे टाउन में रहने वाले गुरुस्वामी से प्यार हो गया. दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. दोनों के घर वाले भी तैयार हो गए. नेत्रवती नर्सिंग में डिप्लोमा कर रही हैं. आखिरी साल है. गुरुस्वामी 'चित्रदुर्गा विंड मिल प्रोजेक्ट' में टेक्नीशिअन है. गांव में 5 जून को 'सामूहिक विवाह' होना था.
कोई लड़का-लड़की शादी करना चाहते हैं. लेकिन अलग कास्ट के है. या धर्म अलग हैं. घरवाले राज़ी नही हो रहे हैं. ऐसे कपल्स की शादी कराने की ज़िम्मेदारी गांव के पंडित मुरुगराजेंद्र स्वामी ने ली है. वो सामूहिक विवाह करवाते हैं.
उस 'सामूहिक विवाह' में शादी करने के लिए नेत्रवती और गुरुस्वामी ने भी अपना नाम लिखवाया था.
लेकिन 23 मई को एक हादसा हो गया. नेत्रवती और गुरुस्वामी चित्रदुर्गा फोर्ट में घूम रहे थे. नेत्रवती का पैर फिसल गया. वो बहुत ऊंचाई से गिर पड़ी. रीढ़ की हड्डी में बहुत गहरी चोट लग गयी. चलना फिरना क्या, उसके लिए उठना भी मुश्किल हो गया. घर वाले पास के एक हॉस्पिटल में ले कर गए. वहां के डॉक्टर्स ने उसको बंगलुरु के NIMHANS (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज) हॉस्पिटल भेज दिया.
इलाज शुरू हो गया. लेकिन नेत्रवती को शादी करनी थी. तय डेट पर. गुरुस्वामी से. ये बात उसने घरवालों से कही. घरवाले तो तैयार थे. लेकिन उसकी हालत ऐसी थी ही नहीं कि उसे बंगलुरु से 200 किलोमीटर दूर वापस उसके गांव लाया जा सके. NIMHANS के डॉक्टर्स पहले इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थे. फिर जब उन्होंने नेत्रवती की हिम्मत देखी, उसको परमिशन दे दी. लेकिन शर्त रखी कि वो अपने बिस्तर से बिलकुल नहीं उठेगी. एम्बुलेंस से नेत्रवती को उसके गांव लाया गया. वहां पंडित मुरुगराजेंद्र स्वामी 23 जोड़ों की शादी करवा रहे थे.
अब बिना स्ट्रेचर से उठे शादी कैसे हो. तो गुरुस्वामी और नेत्रवती की शादी करवाने के लिए पंडित जी एम्बुलेंस में बैठ गए. दूल्हा एम्बुलेंस के दुआर पर खड़ा रहा. दुल्हन अम्बुलेंस के अंदर स्ट्रेचर पर ही लेटी रही. पंडित जी ने मंत्र पढ़े. जब मंगलसूत्र पहनाने की बारी आई. नेत्रवती के लिए गर्दन हिला पाना बहुत मुश्किल था. उसने हल्का सा सिर उठाया और गुरुस्वामी ने उसको मंगलसूत्र पहना दिया.
वहां मौजूद लोग बहुत इमोशनल हो गए थे. नेत्रवती और गुरुस्वामी दोनों के आंसूं नहीं रुक रहे थे. नेत्रवती बहुत ख़ुश थी कि गुरुस्वामी ने उसका साथ नहीं छोड़ा. शादी के तुरंत बाद उसको वापस बंगलुरु भेज दिया गया. अभी उसको पूरी तरह से ठीक होने में काफी वक़्त लगेगा. लेकिन गुरुस्वामी को पूरा भरोसा है कि उसकी पत्नी बहुत जल्दी बिलकुल फिट हो जाएगी.