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MP: टाइगर प्रोजेक्ट के 52 साल के इतिहास में बाघों की सबसे ज्यादा मौतें इस साल हुईं

पिछले साल राज्य में 46 बाघों की मौत हुई थी. उससे पिछले के सालों की बात करें तो 2023 में 45, 2022 में 43 और 2021 में 34 बाघों की मौत हुई. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों का कहना है कि बाघों की बढ़ती मौतों की संख्या के कारणों में बढ़ती उम्र के अलावा इलाके को लेकर संघर्ष और बीमारी भी शामिल हैं.

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55 में से 11 बाघों की मौत असमान्य कारणों से हुई है. (सांकेतिक तस्वीर- India Today)

साल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू हुआ था. इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य था देश में बाघों का संरक्षण हो और उनकी संख्या में वृद्धि की जाए. लेकिन हम इस बात पर फ़क़त अफसोस जता सकते हैं कि अकेले मध्यप्रदेश में इस साल 55 बाघों की मौत हुई है. प्रोजेक्ट टाइगर के शुरू होने के बाद यह एक साल में बाघों की मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा है.

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इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े आनंद मोहन जे ने बाघों पर एक गंभीर और जरूरी रिपोर्ट की है. मध्यप्रदेश में पिछले पांच सालों में बाघों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. और इस साल 50 से ऊपर जा पहुंचा. 55 में से 11 बाघों की मौत असामान्य कारणों से हुई है. इनमें से अधिकतर मामलों में बाघों की मौत बिजली के करंट से हुई है, जो आमतौर पर किसान खेतों की सुरक्षा के लिए अवैध रूप से लगाते हैं.

पिछले साल राज्य में 46 बाघों की मौत हुई थी. उससे पिछले के सालों की बात करें तो 2023 में 45, 2022 में 43 और 2021 में 34 बाघों की मौत हुई. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों का कहना है कि बाघों की बढ़ती मौतों की संख्या के कारणों में बढ़ती उम्र के अलावा इलाके को लेकर संघर्ष और बीमारी भी शामिल हैं.

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ताज़ा मामला मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के सागर जिले का है. यहां धनौरा रेंज के अंतर्गत हिलगन गांव के पास एक नर बाघ का शव मिला. यह बाघ करीब 8 से 10 साल का था. सबसे पहले ग्रामीणों ने शव देखा और वन विभाग को सूचना दी. प्रारंभिक जांच में बाघ के शरीर पर किसी तरह की बाहरी चोट के निशान नहीं मिले हैं. शव के आसपास भी खून के धब्बे नहीं पाए गए. असली कारण जानने के लिए पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है. अधिकारियों का मानना है कि यह बाघ पास के नौरादेही टाइगर रिजर्व से भटककर इस इलाके में आया हो सकता है.

वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह जांच की जा रही है कि कहीं बाघ की मौत बिजली के करंट की चपेट में आने से तो नहीं हुई. आशंका है कि किसी खेत में जानवरों से फसल बचाने के लिए लगाए गए अवैध बिजली के तार की चपेट में आकर उसकी मौत हुई हो और बाद में शव को दूसरी जगह फेंक दिया गया हो.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वन विभाग ने कहा कि किसान जो अवैध बिजली के तार लगा रहे है, वे वन्यजीवों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं. जंगली सूअर, नीलगाय जैसे जानवरों से फसल बचाने के लिए कई किसान सीधे बिजली की लाइन जोड़ देते हैं, जिससे जानवरों को जानलेवा झटका लगता है. ऐसे तारों में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं होती और कई बार यह बाघ जैसे बड़े जानवरों की मौत का कारण बन जाते हैं.

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रिपोर्ट के मुताबिक वन विभाग के प्रमुख वी एन अंबादे ने इस बढ़ती समस्या को गंभीरता से लेते हुए राज्य के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने कहा है कि वन्यजीवों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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