गुलबर्ग सोसाइटी केस का एक दोषी. 17 जून की तस्वीर. रॉयटर्स
2002 गुजरात दंगों में 7 और लोगों को मर्डर का दोषी पाया है, गुजरात हाईकोर्ट ने. अंडरलाइन करने वाली बात ये है कि इनमें से तीन को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था और बाकी चार को मर्डर नहीं, छोटे अपराध में दोषी पाया था.
ये केस कौन सा है?
गोधरा ट्रेन कांड के बाद गुजरात में कई जगह मुस्लिम विरोधी दंगे भड़के थे. 28 फरवरी 2002 को करीब दंगाइयों की भीड़ ने वलाना रेलवे क्रॉसिंग के पास रहने वाले मुसलमानों पर हमला बोल दिया था. एक गवाह के मुताबिक, वलाना गांव में उसके खेत में आग लगा दी गई. जब वह और लोगों के साथ आग बुझाने दौड़ा तो देखा कि कुछ लोग दरगाह को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इसे रोकने की कोशिश की तो भीड़ उन पर टूट पड़ी. दो लोगों को तत्काल मार डाला गया और एक को बुरी तरह जख्मी कर दिया गया, जिसकी बाद में अस्पताल में मौत हो गई. हाईकोर्ट के जज जस्टिस हर्षा देवानी और बीरेन वैष्णव ने इस केस में सुनवाई करते हुए कहा,
''छोटे अपराधों (मर्डर की कोशिश, अवैध एकत्रीकरण, जानबूझकर धारदार हथियारों से चोट पहुंचाना) में दोषी पाए गए चार लोगों को IPC की धारा 302 (मर्डर) के तहत भी सजा मिलनी चाहिए. ट्रायल कोर्ट ने जिन तीन लोगों को क्लीन चिट दे दी थी, वे भी मर्डर और बाकी आरोपों में दोषी पाए गए हैं.''
इन सातों दंगाइयों के नाम हैं
साताभाई उर्फ हैदर गेला भरवाड, नारणभाई सामंतभाई भरवाड, उडाजी रणछोड़भाई ठाकुर, वालाभाई गेलाभाई भरवाड, विट्ठल उर्फ कूचियो मोती भरवाड, मुलाभाई गेलाभाई भरवाड और मेराभाई गेलाभाई भरवाड. सातों की सजा का ऐलान 25 जुलाई को किया जाएगा. उन्हें नोटिस भेजकर इस दिन कोर्ट में पेश होने को कहा गया है. इस मामले में कुल 10 आरोपी थे, जिनमें से 9 दोषी पाए गए हैं. दो दोषियों भोपा भरवाड और बच्चू ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को हाईकोर्ट ने अप्रूव कर दिया. बीते 17 जून को गुलबर्ग सोसाइटी केस में अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने 24 दोषियों को सजा सुनाई थी. इनमें से 11 को उम्रकैद, 12 को 7 साल कैद और एक दोषी को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.