लाइका की ज़िंदगी अब तक यूं ही सड़कों पर घूमते फिरते कट रही थी. लेकिन ये सब जल्दी ही बदलने वाला था. बात है 1950 के दशक की. इंसान जब भी आकाश की ओर देखता, एक हुलस उठती थी. अंतरिक्ष की अतल गहराइयों को हम कब नाप पाएंगे. लिहाजा रॉकेट बनाए गए. जिनमें बैठकर इंसान अब आकाश गंगाओं का रुख करने वाला था. इसे किस्मत ही कहेंगे कि वैज्ञानिकों ने इस मिशन के लिए लाइका को चुना. वैज्ञानिक ये जानना चाहते थे कि स्पेस फ्लाइट का किसी जीवित प्राणी पर क्या असर होता है. रॉकेट की मदद से स्पेस क्राफ्ट ने टेक ऑफ किया और 162 दिन बाद धरती पर लौटा. धरती के 2570 चक्कर लगाने के बाद. लेकिन लाइका न लौटी. उसकी मौत हो चुकी थी.