ओशो की कहानी शुरू होती है साल 1931 से. मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा गांव में पैदा होने वाले ओशो का असली नाम रजनीश चन्द्र मोहन जैन था. दर्शन में रूचि थी, सो उसी के प्रोफ़ेसर बन गए. 60 के दशक में ओशो ने पब्लिक में बोलना शुरू किया. तर्क देने और बोलने में तेज थे. 1969 में उन्हें दूसरे वर्ल्ड हिन्दू कॉन्फ्रेंस में बुलाया गया. यहां उन्होंने कहा, ”कोई भी ऐसा धर्म, जो जीवन को व्यर्थ बताता हो, वो धर्म नहीं है”. इससे पुरी के शंकराचार्य नाराज हो गए. फिर आगे क्या हुआ जानने के लिए देखिए वीडियो.
तारीख: ओशो की मौत के बाद उनकी 93 रॉल्स रॉयस का क्या हुआ?
क्या ओशो की मौत स्वाभाविक रूप से हुई थी?
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