2006 में प्रचंड बहुमत से फिर विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राज्य में गुजरात और महाराष्ट्र जैसे पश्चिमी राज्यों की तरह तेज औद्योगीकरण पर काम शुरू कर दिया. उन्होंने वो कदम उठाया जो राज्य की राजनीति और उनकी पार्टी की विचारधारा के एकदम विपरीत था. 18 मई 2006 को उन्होंने हुगली जिले के सिंगूर इलाके की करीब 1000 एकड़ जमीन को टाटा के नैनो कार के कारखाने के लिए देने का ऐलान कर दिया. ये वो जमीन थी, जहां हजारों किसान अपने मन की फसल उगा रहे थे. कम्युनिस्ट शासित बंगाल में ये एक ऐसा ऐलान था जिसने राज्य की राजनीति पर नजर रखने वालों को हैरत में डाल दिया. क्योंकि बिग कैपिटल और बिग एस्टेबलिशमेंट का विरोध करने वाली लेफ्ट सरकार का ये बड़ा रेडिकल शिफ्ट था. देखिए वीडियो.
तारीख: कहानी सिंगूर आंदोलन की, जिसने टाटा को बंगाल छोड़ने पर मजबूर किया
18 मई 2006 को उन्होंने हुगली जिले के सिंगूर इलाके की करीब 1000 एकड़ जमीन को टाटा के नैनो कार के कारखाने के लिए देने का ऐलान कर दिया.
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