एक राजा थे बनारस के राजा चैत सिंह. शायद आप जानते भी होंगे या नाम सुना होगा. चैत सिंह ने भी अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था. लेकिन उस दौर का एक नाम ऐसा था जिससे अंग्रेज थर्राते थे. यूं तो वो आज के बिहार के गोपालगंज सारण इलाके का था, लेकिन अवध के जंगलों से लेकर पटना के इलाके तक उसकी तूती बोलती थी. एक ऐसा बहादुर जिसने हज़ारों अंग्रेजों और उनके वफादारों के सिर कलम किए. जिसके सिर पर तब बीस हज़ार का इनाम हुआ करता था. जिसके डर से वारेन हेस्टिंग्स को चुनार के किले में छिपना पड़ा था और तबसे पूर्वांचल में ये पंक्तियां फेमस हो गई थी - “घोडा पर हौदा, हाथी पर जीन, भागा चुनार को वारेन हिस्टीन” .लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था. बिहार की माटी के उस वीर सपूत ने अपनी बहादुरी से अंग्रेजों को खूब छकाया लेकिन फ़तेह उसके हिस्से नहीं आई. बल्कि उसके खेमे से उलट, अंग्रेजों के जो मददगार बने, उन्हीं से पनपी एक ज़मींदारी, जिसे आज हथुआ राज कहते हैं. क्या है हथुआ नरेश की कहानी, जानने के लिए देखें वीडियो.
तारीख: कहानी बिहार के हथुआ नरेश की, जिनसे अंग्रेज थर्राते थे
हथुआ नरेश उस दौर का एक नाम ऐसा था जिससे अंग्रेज थर्राते थे. यूं तो वो आज के बिहार के गोपालगंज सारण इलाके का था, लेकिन अवध के जंगलों से लेकर पटना के इलाके तक उसकी तूती बोलती थी.
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