बिहार में औरंगाबाद से सटा पारस बिगहा गांव. 1980 की बात है. फरवरी का महीना और रात का वक़्त था. लगभग पूरा गांव चैन से सो रहा था. तभी चांदनी छनती रात में आग की लपटें उठती दिखाई दीं. हमलावरों ने घात लगाकर हमला किया. 13 लोगों की जान गई, 17 अन्य गंभीर घायल हुए. जो आग से निकल भागने को दौड़े, उन्हें फिर आग में झोंक दिया गया. सुबह सिर्फ जल चुके घरों की राख और घायलों की कराह बची थी. जले हुए घर एक जाति विशेष के थे और जलाने वाले दूसरी जाति विशेष के. बिहार में जाति के नाम पर हिंसा का एक मामला है. ऐसे ही कई अन्य घटनाएं भी इतिहास में दर्ज हैं. क्या कहानी है बिहार की जातीय हिंसा और कास्ट आर्मी की, जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.
तारीख: कहानी बिहार के उस दौर की जब जाति के नाम पर होते थे खूनी संघर्ष
देश की आज़ादी के साथ आया 1950 का ज़मींदारी उन्मूलन (भूमि सुधार) अधिनियम. बिहार में सबसे ऊंचे पायदान पर बैठी ज़मींदारी को इससे सबसे तगड़ा झटका लगा.
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