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तारीख: राम मनोहर लोहिया जो अपनी हाजिरजवाबी से मुंह बंद कर देते थे!

डॉ. राममनोहर लोहिया एक प्रगतिशील विचारधारा के व्यक्ति थे, उन्हें सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना करने के लिये जाना जाता था. साल 1967 में 12 अक्टूबर के दिन दिल्ली में उनका निधन हो गया था.

बात तब की है जब इंदिरा गांधी नई-नई प्रधानमंत्री बनी थीं. लोकसभा में माहौल गरमाया हुआ था. जोरदार बहस के बीच मोर्चा संभाला हुआ था विजय लक्ष्मी पंडित ने. जो खुद एक के बाद एक अपनी ही सरकार की नीतियों पर शब्दबाण बरसा रही थीं. भाषण ख़त्म हुआ. विजयलक्ष्मी पंडित बैठने को हुईं तो उनकी नज़र इधर की ओर बेंच पर बैठे राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) की तरफ गई.

लोहिया उनसे बोले, “पंडित जी, आप ट्रेजरी बेंच पर क्यों बैठी हैं. आपकी सही जगह तो यहां विपक्ष के बीच है”. विजयलक्ष्मी पंडित ने आंखें तरेरते हुए सवाल का जवाब एक और सवाल से दिया. बोलीं, “जंगलियों के साथ कौन बैठेगा.”
लोहिया मुस्कुराए और बोले, “जंगलियों से घबराइए मत, सीता को भी जंगल में उनके ही साथ रहना पड़ा था.”