जब श्रीलंका में पर अंग्रेज़ों का राज था, यहां खूब ईसाई मिशनरी स्कूल खुले. इसमें पढ़ने वाले अधिकतर तमिल थे. जो श्रीलंका में जनसंख्या का 25 % हिस्सा थे. इन्हें अंग्रेज़ी की शिक्षा से बहुत फायदा हुआ. और ये तमाम सरकारी नौकरियों में लग गए. अंग्रेज़ गए तो श्रीलंका के बहुसंख्यक सिंहल लोगों ने मांग की कि उनकी भाषा को प्रमुखता दी जाए. नतीजा हुआ कि 1956 में एक ऑफिसियल लैंग्वेज एक्ट पास हुआ. जिसमें सिंहल भाषा को श्रीलंका की आधिकारिक भाषा बना दिया गया. इससे तमिलों में रोष जागा. उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किए. और अगले दो दशक में भाषा की इस लड़ाई ने श्रीलंका में कई बार दंगो को अंजाम दिया. इसी दौरान तमिलों के एक संगठन LTTE का भी जन्म हुआ.
तारीख: तमिल नरसंहार की वजह बना एक पासवर्ड
आज़ की तारीख का संबंध है एक नरसंहार से
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अब चलते हैं सीधे साल 1983 में. इस साल कैलंडर में जुलाई का रंग काला था. शनिवार 23 जुलाई 1983 की बात है. जाफना के नजदीक सेना का काफिला जा रहा था. अचानक लिट्टे के लड़ाकों ने इस काफिले पर हमला किया और इस लड़ाई में 15 जवान मारे गए. लिट्टे ने ये हमला अपने एक संस्थापक नेता, चार्ल्स अन्थोनी की मौत का बदला लेने के लिए किया था.
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