इंदिरा गांधी का वो मंत्री जिसने संजय गांधी को कहा- मैं तुम्हारी मां का मंत्री हूं
जिसे टॉर्चर किया गया, जिसके फेफड़े गल गए और जो ज़्यादा दिन ज़िंदा न रह सकी.
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25 जून.1975. देश में पहली और आखिरी बार इमरजेंसी लगी. मुनादी पिट गई. बिना आवाज किए. कि अब राज कांग्रेस का नहीं. इंदिरा गांधी का नहीं. उनके सपूत संजय गांधी का. जो खाता न बही. जो संजय कहें. बस वही और उतना ही सही. बची खुची खुरचने के लिए चापलूस थे. जो हरकतें हुईं. उन्हें पढ़कर तारीख शरम कर जाए. मगर अफसोस भर से क्या होगा. जो कुछ सबक न लिए. तो आज इसकी बरसी पर ये छह किस्से देखें. सुनें. और याद करें. कि हर चुप्पी जुल्मी का लहू बढ़ाती है. और हर आवाज उसे हिलाती है.
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