एक ऐसी संस्था, जिसकी रिपोर्ट्स से कई बार भारत में राजनीतिक भूचाल आए हैं. जिसकी जांच ने कई आंदोलन खड़े, सरकारों की नींव हिलाई और ताक़तवर लोगों कचहरी और जेल के चक्कर कटवाए.
कभी बोफोर्स सौदे में देश के पूर्व प्रधानमंत्री घिर गए. कभी एक काबीना मंत्री पर इतने बड़े घोटाले का आरोप लगा कि ज़ीरो गिनने मुश्किल हो गए, तो कभी सवालों में आया एक स्वघोषित ईमानदार मुख्यमंत्री का आवासन, जिसमें लगे लाखों के पर्दे और टीवी पहले पन्ने की ख़बर बने. इन सुर्खियों के पीछे कौन है? CAG यानी कैग. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक. इस वीडियो में समझेंगे कि ये CAG नाम के धागे में पिरोई हुई हेडलाइंस की कहानी क्या है? CAG का काम क्या होता है? क्या ये भी ED, CBI की तरह सरकार के अधीन है? और ये किस तरह से रिपोर्ट तैयार करते हैं कि सरकारें सवालों के घेरे में आ जाती हैं? जाननेे के लिए देखें ‘आसान भाषा में’ का ये पूरा एपिसोड.
आसान भाषा में: कहानी CAG की जिसने कई सरकारें हिला दीं
भारत में CAG के पास ख़ज़ाने का कंट्रोल नहीं है. वो सिर्फ सरकारी खर्चों का जायज़ा भर लेता है. इस काम लिए उनके पास एक पूरा डिपार्टमेंट होता है, जिसे ‘इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट्स डिपार्टमेंट’ कहते हैं.
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