जूते तो मशहूर कथाकार प्रेमचंद के पास भी थे. पर उन्होंने अपने जूतों पर कभी ध्यान नहीं दिया. फटे जूते पहनकर ही तस्वीर खिंचा ली. लेकिन, प्रेमचंद के फटे जूते से बादशाह के 22 लाख के जूतों तक धरती सूरज के कई चक्कर लगा चुकी है. और इस दरमियान बदल चुकी है कलाकारों के खातों में जमा पैसों की संख्या, साथ ही बदल चुके हैं लोगों के शौक़. शौक़ बड़ी चीज है. इस वीडियो में बात होगी जूतों की एक ख़ास प्रजाति-स्नीकर्स के शौक की. और इस शौक़ को पालने वाले शौक़ीनों के बारे में जो स्नीकरहेड कहलाते हैं. तो आसान भाषा में हम आपको विस्तार से इसी स्नीकरहेड प्रजाति के बारे में बताएंगे. हम बात करेंगे Sneakers की दीवानगी के बारे में. जानेंगे कौन है ये लोग, जिनकी नजर जैसे ही जूतों पर पड़ती है ये कहते हैं ‘जूते दे दो, पैसे ले लो’. पूरी कहानी समझने के लिए देखें लल्लनटॉप का ये एक्सप्लेनर.
आसान भाषा में: Sneakers के लिए दीवानगी का क्या राज़ है? रैपर बादशाह के Sneakers कितने के हैं?
इस शौक़ को पालने वाले शौक़ीन लोग जो Sneakerhead कहलाते हैं.
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