इस बात ने तमाम कयासों को जन्म दे दिया है.आज एक कविता रोज़ में कुंवर नारायण की कविता, वही कुंवर नारायण जो कहा करते थे कि, "आदमी कभी भी अकेला एक आदमी नहीं होता – तमाम लोगों और परिस्थितियों से जुड़ा होता है, न चाहते हुए भी ज़बरदस्ती जोड़ दिया जाता है." 1927 में उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद में जन्मे कुंवर नारायण ने अपनी कविताओं के लिए कई तरह के पुरस्कार अपने नाम किए. यहां तक कि उनके खंडकाव्य ‘आत्मजयी’ का 1989 में इतालवी अनुवाद रोम से प्रकाशित हुआ था. आज के एपिसोड में हम सुनेंगे कुंवर नारायण जी की कविता एक वृक्ष की हत्या. देखिए वीडियो.
एक कविता रोज़ में सुनिए कुंवर नारायण की कविता - एक वृक्ष की हत्या
बचाना है—जंगल को मरुस्थल हो जाने से/बचाना है—मनुष्य को जंगल हो जाने से.
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