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एक कविता रोज़ में अतुल की कविता - दस के पांच नोट

'दूसरा नोट गलने को है/इसमें गांधी की आंखे ओझल हैं/ हो न हो यह किसी मजदूर का नोट है!'

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दी लल्लनटॉप का कविताओं से जुड़ा कार्यक्रम 'एक कविता रोज़'. आज के एपिसोड में हम आपको अतुल तिवारी की कविता सुनाने जा रहे हैं. अतुल का घर गोरखपुर है पर रहते कानपुर हैं. कानपुर में अतुल का काम वैसे तो फार्मासिस्ट का है पर इसके साथ-साथ अतुल लिखते भी हैं. एक कविता रोज़ में आज सुनिए अतुल की कविता -  दस के पांच नोट. देखिए वीडियो.

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