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एक कविता रोज़ में सुनिए दर्पण साह की कविता - शून्य

प्रयास सफल-असफल नहीं होते/ वे कल होते हैं.

आप देख रहे हैं कविताओं के लिए डेडिकेटेड हमारा ये प्रोग्राम जिसका नाम है एक कविता रोज़. एक कविता रोज़ में आज एक घर की कविता आपको सुनाते हैं. इसे लिखा है हमारे साथी दर्पण साह ने और कविता का शीर्षक है 'शून्य'. देखिए वीडियो.