कर्नाटक का चिकमंगलूर जिला. यहां सकरपटना नामक गांव के पास जंगलों में एक बड़े से अंजीर के पेड़ के नीचे कुर्सी रखी हुई है. कुर्सी पर सीध में फैला है एक पैर. जिस पर पट्टियां बंधी हैं. बाकी का जिस्म खाकी वर्दी पहने हुए है. सर पर हैट, मूछों पर ताव. एक हाथ जो .405 विनचेस्टर राइफल के ऊपर टिकाया हुआ है. खाकी वर्दी पहने वो शख्स पिछले 6 घंटे से इसी मुद्रा में बैठा है. एक इंच हिला डुला नहीं. उसकी आंखें गुस्से से लाल हैं. लेकिन उनमें एक रंग इंतज़ार का भी है. घड़ी में रात के 11 बजते हैं. एक हल्की सी आवाज़ आती है. वो शख़्स टॉर्च उठाता है. टॉर्च की रौशनी में उसे एक आकृति अपनी ओर आती दिखाई देती है. बड़े बड़े पंजे. नुकीले दांत. ये देखकर वो फुर्ती से अपनी राइफल उठाता है, उंगली ट्रिगर तक पहुंचती है. द्रिगर दबता है. एक आवाज़ और जंगल एक बार फिर सन्नाटे से भर जाता है. पूरी कहानी जानने के लिए देखें तारीख का आज का एपिसोड.
तारीख: जब बेंगलुरु के पास आदमखोर भालू ने मचा दिया था आतंक
आज हम आपको सुनाएंगे कहानी एक आदमखोर भालू की जिसने 50 के दशक में मैसूर में आतंक मचाया हुआ था. जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके सिर पर केन का निशान है. बाइबल के अनुसार केन आदम और हव्वा का बेटा था. अपने भाई को मारने के अपराध में ईश्वर ने उसे श्राप दिया. और तबसे श्राप का निशान उससे जुड़ गया.
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