बचपन में हमने एक गुण सीखा था. साबुन मल के फुग्गा फुलाने का. उससे फुग्गा जो फूलता-फूलता ही. हाथ जरुर अजीब सा हो जाता. होता क्या था कि अंगुलियां सिकुड़ जातीं. हमको लगता साबुन से सिकुड़ी हैं. बाद में समझ आया नहीं, साबुन के अलावा ज्यादा देर तक पानी में हाथ रखो तो सिकुड़ ही जाती हैं. आपके साथ भी ये खूब हुआ होगा. वजह जानते हैं?

पहले लोग ये मानते थे कि इसकी वजह ये है कि अंगुलियों के बाहर की जो सूखी स्किन होती है. उसमें पानी घुस जाता है, जिसके कारण ऐसे अंगुलियां बुढा सी जाती हैं. लेकिन बाद में देखा गया कि कई ऐसे लोग जिनकी अंगुलियों में कोई समस्या है. उनके साथ तो ऐसा नहीं होता है.

फिर कुछ लोगों ने माना कि ये बायोकेमिकल रिएक्शन है. पानी में रहते रहते क्या होता है कि हमारी चमड़ी के कुछ हिस्से बाहर निकल जाते हैं, जिसके कारण वो जगह ऐसी खुस्की-खुस्की गीली-गीली सी हो जाती है, माने झुर्री पड़ जाती है. कुछ लोग ये बात सिरे से नकारते भी हैं. बताते हैं ये एक न्यूरल प्रोसेस है. जो कि आदमी के दिमाग से कंट्रोल होता है. जब हाथ बहुत देर तक पानी में रहता है. तो स्किन के ठीक अंदर की नसें सिकुड़ जाती हैं. इससे खून का जो प्रवाह होता है, उस पर्टिकुलर हाथ वाले क्षेत्र में नहीं हो पाता. जिससे अंगुलियां सिकुड़ी नज़र आती हैं.

कुछ वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला कि पानी में रहते-रहते हमारी अंगुलियों के बीच नाली जैसा काम होने लगता है. जैसे एक मैदान पर जब पानी गिरती है. तो कई छोटी-छोटी सी नालियां खुद बन जाती हैं. वैसे ही हमारे शरीर की चमड़ी सिकुड़ जाती है और पड़ने वाले पानी को बाहर निकालती है. अगर ऐसा कभी हो और आपको लगे कि ऐसे में आपका हाथ खराब हो जाएगा तो दुखी न होइए. इसका मतलब ये है कि आप स्वस्थ हैं. अंगुलियों की टिप पर जब ज्यादा चोट-वोट लगती है, तब तो ऐसा हो नहीं पाता. और ऐसे हाथ में रिंकल पड़ने का फायदा ये है कि पानी कर अंदर पकड़ने में सहूलियत हो जाती है. समस्या बस यही है कि...
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