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80 तक की एवरेज देने वाली डीजल बाइक्स मार्केट में क्यों नहीं चल पाईं?

कंपनियां अब डीजल बाइक्स क्यों नहीं बनातीं?

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भारत में पहले डीजल वाली बाइक्स उपलब्ध धीं लेकिन अब नहीं मिलतीं. आखिर क्यों बंद हो गईं ये बाइक्स. राइट साइड में तस्वीर मशहूर हॉलिवुड मूवी The Motorcycle Diaries की है जिसमें क्रांतिकारी चे ग्वेरा की मोटरसाइकल यात्राओं को बखूबी दिखाया गया है. चे ग्वेरा की बाइक भी डीजल से चलने वाली थी. (फोटो-यूट्यूब)
दुनिया में एक बड़े क्रांतिकारी हुए चे ग्वेरा. वैसे तो उनका काम-धाम अर्जेंटीना और क्यूबा में रहा, लेकिन वह मशहूर पूरी दुनिया में हैं. लोग अब भी उनकी तस्वीर वाली टीशर्ट पहन कर क्रांति की आग शांत करते हैं. सन 1948 में चे ग्वेरा यूनिवर्सिटी में पढ़ने गए और उनके भीतर दुनिया को जानने की भूख पैदा हुई. फिर क्या था, उन्होंने एक दोस्त को साथ लिया और बाइक पर बैठ कर दक्षिण अमेरिका के 9 देश नाप दिए. इसमें तकरीबन साल भर लगा लेकिन इससे तपकर एक क्रांतिकारी निकला. जिस बाइक पर चे ग्वेरा घूमे थे, उसका नाम था नॉर्टन (Norton) और वह डीजल से चलती थी. आपको लग रहा होगा कि यार अगर अब भी डीजल की बाइक होती, तो हम भी पेट्रोल के खिलाफ क्रांति करके वही बाइक ले लेते. लेकिन फिलहाल इंडियन मार्केट में डीजल की कोई बाइक उपलब्ध नहीं है. आखिर क्या कारण है कि अब डीजल की बाइक मार्केट से आउट है? और अगर पहले बनी भी, तो वो बंद क्यों हो गईं. तो आइए जानते हैं डीजल वाली बाइक की कहानी. क्या डीजल की बाइक सपना है? जब-जब आप अपनी पेट्रोल बाइक पर बैठते होंगे तो जरूर सोचते होंगे कि महंगे पेट्रोल के जमाने में अगर डीजल की बाइक आ जाए तो कितना अच्छा हो. आपको यह भले ही सपना जैसा लगे लेकिन यह सपना पहले साकार हो चुका है. कहने का मतलब यह कि डीजल वाली बाइक भारत में फर्राटा भर चुकी हैं. हो सकता है तब आपने बाइक चलाना सीखा भी न हो. देश में कई ऐसी कंपनियां रही हैं जिन्होंने डीजल की बाइक मार्केट में उतारीं. आइए आपको बताते हैं कि कौन सी डीजल बाइक्स ने लोगों का कभी मन मोह लिया था.
# सुपर हिट बाइक बुलेट बनाने वाली कंपनी रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) एक मात्र ऐसी कंपनी थी जिसने भारत में बड़े पैमाने पर डीजल की बाइक्स बनाईं थीं.
# रॉयल एनफील्ड ने 80 के दशक के अंत में Taurus के नाम से डीजल से चलने वाली बाइक लॉन्च की थी.
# 325 सीसी के इंजन वाली इस बाइक की एवरेज थी 70 किलोमीटर प्रति लीटर. उस वक्त इसकी कीमत कितनी थी इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इसके शौकीन अब भी 1 से डेढ लाख रुपए में इसे खरीदने को तैयार रहते हैं. बरसों पुरानी, लेकिन मेंटेन डीजल बुलेट ऑनलाइन उपलब्ध हैं.
# इसे दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली डीजल मोटरसाइकिल माना जाता है.
# 2000 की शुरुआत तक यह मार्केट में उपलब्ध थी, लेकिन फिर इसे कंपनी ने बंद कर दिया.
Royal Enfield Diesal
रॉयल एनफील्ड पहली बाइक बनाने वाली कंपनी थी जो आजाद भारत में डीजल वाली बाइक को जोरशोर से लेकर आई. (फोटो-सोशल मीडिया)

# रॉयल एनफील्ड को टक्कर देने के लिए 90 के दशक में सूरज (Sooraj) नाम की डीजल से चलने वाली बाइक ने मार्केट में एंट्री की.
# सूरज डीजल इंजन मोटरसाइकिल को सहारनपुर स्थित सूरज ऑटोमोबाइल द्वारा बनाया जाता था. सूरज वही कंपनी है जो अब भी ट्रैक्टर बनाती है.
# कंपनी ने अपने मॉडल के लिए रॉयल एनफील्ड गियरबॉक्स के साथ लैम्बोर्गिनी 325 सीसी डीजल इंजन का इस्तेमाल किया.
# इसका प्रचार 86 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देने वाली बाइक के तौर पर किया गया.
# यह देश की पहली मोटरसाइकिल थी जिसमें इलेक्ट्रिक स्टार्ट की सुविधा दी गई. हालांकि यह बैटरी पर निर्भर करता था कि स्टार्टिंग कितनी अच्छी है.
# सूरज बाइक का वजन 200 किलोग्राम था.
# उस जमाने में सूरज की कीमत भी तकरीबन 50 हजार रुपए थी.
Sooraj Diesel Bike
सूरज नाम की कंपनी ने जब डीजल बाइक में 85 किलोमीटर के माइलेज का दावा किया तो इसने सबका ध्यान खींचा.

इन बाइक्स ने आते ही लोगों को अपनी ओर खींचा. एक तो उस वक्त पेट्रोल के मुकाबले डीजल बहुत सस्ता था. कितना सस्ता? इतना जान लीजिए कि डीजल पेट्रोल से आधी कीमत पर बिकता था. इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर
के मुताबिक 1980 में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 5 रुपए 10 पैसे लीटर और डीजल की कीमत 2 रुपए 28 पैसे प्रति लीटर  थी. उस वक्त पेट्रोल से चलने वाले स्कूटर और बाइक भी 40 से 60 के आसपास का एवरेज ही देते थे. ऐसे में मार्केट में 80-90 किलोमीटर प्रति लीटर की एवरेज वाली डीजल बाइक्स देख कर लोगों को लगा कि सपना सच हो गया. छन से फिर टूटा ये सपना कंपनी भी मार्केट में अपने नए शाहकार से खुश थी और पब्लिक को भी लग रहा था देर से ही सही सपना सच तो हुआ. लेकिन फिर वही हुआ जिसका डर था. सबसे पहले उन लोगों का सपना टूटा जिन्होंने बाइक खरीदी. बाइक के साथ कुछ ऐसी परेशानियां आने लगीं जिनका पहले उन्होंने खयाल नहीं किया था. हमने डीजल वाली बाइक की दिक्कतों को जानने के लिए आटो एक्सपर्ट्स से बात की. उनके हिसाब से डीजल वाली बाइक के न चल पाने के बड़े कारण ये रहे.
साइज इतना तो सभी को पता होगा कि डीजल इंजन अधिक ऊर्जा पैदा करता है. ज्यादा ऊर्जा पैदा करने की वजह से इंजन पर दबाव भी पेट्रोल इंजन के मुकाबले ज्यादा पड़ता है. ज्यादा दबाव सहने के लिए डीजल इंजनों को भारी बनाया गया था. जो एक मोटरसाइकिल के लिए सही नहीं है. इससे न सिर्फ बाइक का साइज बढ़ा, बल्कि वह बेहद भारी हो गई. डीजल वाली बुलेट और सूरज दोनों ही तकरीबन 200 किलो की हैं. अगर ये गिर गईं तो बिना किसी की मदद से उठाना नामुमकिन हो जाता था.
शोर ज्यादा ताकत पैदा करने वाला डीजल इंजन भी जब अपने शबाब पर होता तो आवाज नहीं करता बल्कि दहाड़ता. आवाज के साथ ही डीजल इंजन कंपन भी पैदा करता. बाइक की छोटी चेसिस पर उसे रख कर कंट्रोल कर पाना मुश्किल भरा साबित होता.
प्रदूषण डीजल इंजन पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा प्रदूषण भी पैदा करते हैं. ऐसे में बाइक से निकलता काला धुआं भी लोगों को परेशान करता. सरकार भी इसे लेकर धीरे-धीरे सख्त होती गई. ऐसे में कंपनियों के लिए भी डीजल इंजन सिरदर्द बनने लगा.
Diesel Bike Engine Royal Enfield
डीजल वाली बाइक का इंजन काफी बड़ा और भारी होता है. इसके अलावा इसकी आवाज और निकलने वाला धुआं भी लोगों को परेशान करता है.

कीमत डीजल इंजन की कीमत अब भी पेट्रोल इंजन के मुकाबले ज्यादा है. डीजल वाली बाइक भी पेट्रोल बाइक्स के मुकाबले तकरीबन दुगने दाम पर आती थी. ऐसे में शौकीनों को तो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन किफायतीराम इस चक्कर में मारा गया.
महंगा मेंटिनेंस पेट्रोल के मुकाबले डीजल इंजन हमेशा ही ज्यादा मेंटिनेंस मांगता है. इसकी सर्विसिंग भी पेट्रोल इंजन के मुकाबले ज्यादा करानी पड़ती है. विदेशी कंपनियों के इंजन होने की वजह से इनकी मेंटेनेंस कॉस्ट भी काफी ज्यादा पड़ती थी. ऐसे में डीजल बाइक सपना बन कर रह गई.
इस तरह से दिक्कतों की वजह से डीजल वाली बाइक्स का दौर इतिहास का हिस्सा बन गया. और रही इन बाइक्स के मार्केट में फिर आने की बात, तो इसकी संभावना भी एक्सपर्ट्स कम ही बता रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण ये भी है कि अब पेट्रोल और डीजल के बीच दामों का फासला भी कम हो गया है और डीजल इंजन अब भी पेट्रोल इंजन के मुकाबले महंगे हैं. इसके अलावा पेट्रोल इंजन अब पहले की तरह कम माइलेज वाले नहीं रहे. पेट्रोल की बाइक्स अमूमन 70 से 80 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती है.