25 जुलाई को आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के पक्ष में एक प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव आंध्र प्रदेश के अहमदिया समुदाय के लोगों से जुड़ा था. और इसे जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा पारित किया गया. प्रस्ताव में अहमदियाओं के मुस्लिम ना होने की बात कही गई. जमीयत ने कहा कि अहमदियाओं को मुस्लिम ना मानने पर आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के रुख पर सभी मुसलमान सहमत हैं.
मुस्लिम समाज अहमदिया लोगों को मुसलमान क्यों नहीं मानता? आंध्र प्रदेश में प्रस्ताव पारित हुआ है
अहमदिया समुदाय की शुरुआत मिर्जा गुलाम अहमद ने 1889 में इस्लाम के अंदर ही एक 'पुनरुत्थान' आंदोलन के तहत की थी.

ये तो बात हुई खबर की. पर अहमदिया मुस्लिमों को लेकर अक्सर विवाद क्यों चलता रहता है और इन्हें इस्लाम का हिस्सा क्यों नहीं माना जाता है?
कौन होते हैं अहमदिया मुस्लिम?मुस्लिम समाज में अलग-अलग पंथ हैं. इनमें से एक मिर्जा गुलाम अहमद को मानता है. इसी समुदाय को 'अहमदिया' कहा जाता है और इस समुदाय के लोगों को अहमदिया मुसलमान. मिर्जा गुलाम अहमद ने 1889 में इस्लाम के अंदर ही एक 'पुनरुत्थान' आंदोलन की शुरुआत की थी. इसी के तहत उन्होंने अहमदिया समुदाय की स्थापना की थी.
मिर्जा गुलाम का जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत में 13 फरवरी 1835 को हुआ था. समुदाय में सबसे बड़ा स्थान खलीफा का होता है. हजरत मौलवी नुरुद्दीन पहले खलीफा थे. अब तक संप्रदाय में कुल पांच खलीफा हुए हैं. फिलहाल मिर्जा मसरूर अहमद संप्रदाय के खलीफा हैं. वो लंदन में रहते हैं.
अहमदिया मुस्लिम समुदाय की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इस समुदाय को मानने वाले लोग विश्व के 200 से ज्यादा देशों में रहते हैं. समुदाय के पास दुनियाभर में 16 हजार से ज्यादा मस्जिदें, 600 स्कूल और लगभग 30 अस्पताल मौजूद हैं.
दुनिया में सबसे ज्यादा अहमदिया मुसलमान पाकिस्तान में रहते हैं. यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम के मुताबिक, इनकी आबादी 40 लाख बताई जाती है, जो पाकिस्तान की कुल आबादी का 2.2 प्रतिशत है. पंजाब प्रांत में रबवाह शहर अहमदिया समुदाय का वैश्विक मुख्यालय हुआ करता था. ये फिलहाल इंग्लैंड से ऑपरेट किया जाता है.
अहमदिया समुदाय के खलीफा रहे मिर्जा गुलाम अहमद के मुताबिक, हजरत मोहम्मद आखिरी नबी नहीं हैं. वो ये भी कहते हैं कि कुरान का कोई हुक्म और कोई आयत नहीं है. मिर्जा गुलाम के इन विचारों पर मुस्लिम समुदाय के कई लोगों को आपत्ति है. उनके मुताबिक हजरत मोहम्मद ही आखिरी पैगंबर और नबी हैं और कुरान आखिरी किताब.
पाकिस्तान में भी मुस्लिम नहीं माना जातासाल 1974. पाकिस्तान में मई महीने में दंगे भड़के थे. इनमें 27 अहमदियों की मौत हो गई थी. घटना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अहमदिया मुसलमानों को ‘नॉन-मुस्लिम माइनॉरिटी’ घोषित कर दिया था. यानी अहमदिया लोग पाकिस्तान में आधिकारिक तौर पर मुस्लिम नहीं हैं. समुदाय के लोग यहां दूसरे दर्जे के नागरिक के तौर पर रहते हैं.
इतना ही नहीं, पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 298-C के तहत अहमदिया मुसलमानों को खुद को मुस्लिम कहने और अपने धर्म का प्रचार करने पर रोक है. ऐसा करने पर 3 साल तक की सजा का भी प्रावधान है. 2002 में अहमदिया लोगों के लिए पाकिस्तान सरकार ने अलग वोटर लिस्ट प्रिंट करवाई थीं. इनमें उन्हें गैर-मुस्लिम माना गया था.
पाकिस्तान के अलावा और कहां-कहां रहते हैं?सबसे ज्यादा तादाद पाकिस्तान में है. भारत में करीब 10 लाख अहमदिया मुस्लिम रहते हैं. नाइजीरिया में 25 लाख से ज्यादा हैं तो इंडोनेशिया में करीब 4 लाख अहमदी रहते हैं. पाकिस्तान में ज़ुल्म होने की वजह से कई देशों में अहमदी लोगों ने शरण ली है. इनमें जर्मनी, तंजानिया, केन्या जैसे देश भी शामिल हैं.
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