बीते हफ्ते, जब जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क मेयर का चुनाव जीता, तो एक और भारतीय मूल के डेमोक्रेट के अंदर उम्मीद जगी. उम्मीद- अमेरिकी राजनीति में एक मील का पत्थर बनने की. सैकत चक्रवर्ती की इस उम्मीद को तब और बल मिला, जब नैंसी पेलोसी ने राजनीति से रिटायरमेंट लेने का ऐलान कर दिया. अब 39 साल के सैकत के लिए अमेरिकी राजनीति में उतरने का रास्ता साफ हो गया है (Who is Saikat Chakrabarti).
ममदानी के बाद अब सैकत चक्रवर्ती की बारी! पेलोसी की सीट खाली, सुभाषचंद्र बोस उनके आइकन!
Who is Saikat Chakrabarti: सोशल मीडिया पर कई लोगों ने Saikat Chakrabarti की तुलना Zohran Mamdani से की है. खासकर उनके कैंपेन स्टाइल को लेकर. अब 39 साल के सैकत के लिए अमेरिकी राजनीति में उतरने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन कैसे?


नैंसी पेलोसी, अमेरिकी संसद (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव) में ‘सैन फ्रांसिस्को’ सीट की प्रतिनिधि यानी रिप्रेजेंटेटिव हैं. भारत के लिहाज से समझें तो सांसद. बीते करीब 40 सालों से (1987) वे इस सीट को रिप्रेंजेट कर रही हैं और अब हाल ही में उन्होंने ऐलान किया है कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी. उनके इस ऐलान के बाद सैन फ्रांसिस्को की सीट खाली हो गई है, जिससे सैकत के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का नॉमिनेशन हासिल करने का रास्ता साफ हो गया है.
ममदानी की तरह, सैकत भी प्रोग्रेसिव लीडर्स की उस नई पीढ़ी का हिस्सा हैं, जो पुराने डेमोक्रेटिक विचारों को बदलना चाहते हैं. सैकत, ममदानी से बहुत प्रभावित हैं. उनकी ऐतिहासिक जीत के लिए बधाई देते हुए, चक्रवर्ती ने कहा,
जोहरान ममदानी ने साबित कर दिया कि चाहे आप पर कितना भी पैसा फेंका जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर आप असली बदलाव के लिए खड़े हैं, तो लोग, पैसों को भी मात दे सकते हैं.
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सैकत की तुलना ममदानी से की है. खासकर उनके कैंपेन स्टाइल को लेकर. दोनों के प्रचार करने का तरीका एक जैसा है. ममदानी की तरह, चक्रवर्ती भी अपने खास स्टाइल की वजह से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहे हैं. घर-घर जाकर लोगों का दरवाजा खटखटा रहे हैं. उन्हें बता रहे हैं कि वो जीत गए तो क्या करने वाले हैं. चक्रवर्ती ने बताया कि उनके 2 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने 40 हजार से ज्यादा दरवाजे खटखटाए हैं.

अमेरिकी राज्य टेक्सास में एक बंगाली अप्रवासी (Immigrant) कपल के घर सैकत चक्रवर्ती का जन्म हुआ. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की और इसके बाद वे सैन फ्रांसिस्को चले गए. यहां वे एक टेक स्टार्टअप के को-फाउंडर बने. बाद में, उन्होंने फाइनेंशियल सर्विस कंपनी ‘स्ट्राइप’ (Stripe) जॉइन की.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीति से उनका पहला परिचय 2015 में हुआ. जब उन्होंने सीनेटर ‘बर्नी सैंडर्स’ के प्रेजिडेंट कैंपेन में काम करने के लिए टेक इंडस्ट्री छोड़ दी. हालांकि, सैंडर्स जीत नहीं पाए. लेकिन, चक्रवर्ती ने डेमोक्रेट को अपने काम से खूब लुभाया.

दो साल बाद, उन्होंने ‘जस्टिस डेमोक्रेट्स’ की स्थापना की, लेकिन साझेदारी में. यह एक पॉलिटिकल ग्रुप था, जो लंबे समय से पद पर बैठे लोगों के खिलाफ कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ने में युवा और नए उम्मीदवारों की मदद करता था.
लेकिन, चक्रवर्ती ने अपनी धाक तब जमाई, जब उन्होंने एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज के कैंपेन को सफलतापूर्वक लीड किया. उन्होंने 2018 में ‘हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव’ में न्यूयॉर्क सीट जीतने में उनकी मदद की. इसके बाद उन्हें एलेक्जेंड्रिया का चीफ ऑफ स्टाफ बनाया गया. इस शानदार जीत ने चक्रवर्ती को सुर्खियों में ला दिया और तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

अमीरों पर टैक्स बढ़ाने के समर्थक
रूढ़िवादी डेमोक्रेट्स के उलट, चक्रवर्ती भी ममदानी की तरह अमीरों पर टैक्स बढ़ाने के समर्थक हैं. वो ‘वेल्थ टैक्स’ यानी संपत्ति कर की बात करते हैं. भले ही इसका मतलब ‘खुद पर टैक्स लगाना’ ही क्यों न हो. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि उनका टारगेट डेमोक्रेटिक पार्टी की इमेज को पूरी तरह से बदलना' है. कई बार तो उन्हें इसके लिए डेमोक्रेट्स की तीखी आलोचना का सामना भी करना पड़ा है.

सुभाषचंद्र बोस वाली टी-शर्ट पहनी
2019 में सैकत चक्रवर्ती तब विवादों में घिर गए थे, जब उन्हें स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनी. सैकत के लिए भले ही यह सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक था, लेकिन कुछ दक्षिणपंथी मीडिया संस्थानों ने उनकी आलोचना की. आरोप लगाया कि वे ‘नाजियों का साथ देने वाले शख्स’ का समर्थन कर रहे हैं.
अब अमेरिकी संसद में पांच भारतीय मूल के सदस्य और राज्य विधानसभाओं में लगभग 40 भारतीय-अमेरिकी हैं. जो किसी भी एशियाई मूल के समूह से सबसे ज्यादा है. क्या चक्रवर्ती अमेरिकी कांग्रेस में छठे भारतीय-अमेरिकी होंगे? अगले साल जून तक इंतजार कीजिए, पता चल जाएगा.
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